सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमरनाथ यात्रा का आयोजन और उसके दौरान स्वास्थ्य के लिए बरती जाने वाली सावधानियों पर फैसला लेना सरकार का काम है। ऐसा करते वक्त सभी दिशानिर्देशों का पालन हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जम्मू कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है जहां कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइन लागू होती हैं इसलिए सुप्रीम कोर्ट इसमें कोई दख़लअंदाज़ी नहीं करेगा।
इंटरनेट, टीवी पर लाइव दर्शन को लेकर याचिकाकोरोना संकट काल में इस साल होने वाली लगाने और भगवान के दर्शन इंटरनेट व टीवी पर लाइव दिखाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका लंगर संगठन ने दायर की है जिसमें कहा गया कि यात्रा में सालाना दस लाख से ज़्यादा भक्त आते हैं जिससे उनमें कोरोना फैलने का ख़तरा बना रहेगा।
अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाने की डिमांड लंगर आर्गेनाइजेशन ने कहा है कि यात्रा पर रोक लगाना श्रद्धालुओं के हित में भी है, लंगर आर्गेनाइजेशन ने सलाह दी है कि मौजूदा हालातों को देखते हुए न तो श्रद्धालुओं के लिए और न ही प्रशासन के लिए यात्रा करवाना सही है। इसमें पुलिस, सुरक्षाबल, श्रमिकों, घोड़ेवालों, सामान ढोने वालों और दुकानदारों का एक जगह इकट्ठा होना नि:संदेह कोविड के कारण सही नहीं है। इसीलिए यात्रा इस बार आयोजित नहीं होनी चाहिए।
श्राइन बोर्ड ने पहले रद्द कर दी थी याचिकाअमरनाथ श्राइन बोर्ड ने 22 अप्रैल को पवित्र गुफा की यात्रा को रद्द करने की बात कही। इसको लेकर बकायदा प्रेस रिलीज जारी किया गया था। इसके थोड़ी देर बाद जम्मू कश्मीर सूचना निदेशालय ने यात्रा रद्द करने का आदेश ही वापस ले लिया। अमरनाथ हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। हर साल जून के महीने में अमरनाथ श्राइन बोर्ड अमरनाथ यात्रा का आयोजन करता है। इसके लिए अप्रैल के पहले सप्ताह से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू होती है, हालांकि इस बार कोरोना महामारी के चलते प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई थी।