आंध्र 3 राजधानियां क्यों चाहता है, समझें विवाद

1 min read

अमरावती
ने सोमवार देर रात तीन राजधानी की योजना को आकार देने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है। नए विधेयक के तहत अमरावती प्रदेश की विधायी राजधानी होगी जबकि विशाखापत्तनम कार्यकारी राजधानी और कुर्नूल न्यायिक राजधानी होगी। विधेयक के विधानसभा में पास होते ही प्रदेश सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है। के 17 विधायक निलंबित कर दिए गए हैं। वहीं पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई जिसमें कई घायल भी हुए।
आखिर, आंध्र प्रदेश सरकार तीन राजधानियां क्यों चाहती है और इसके पीछे विवाद की असली जड़ क्या है? आइए जानते हैं-

क्या है पूरा मामला?
वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने सोमवार को विधानसभा में तीन राजधानी वाले प्रस्ताव को पेश किया जिसे मंजूरी मिल गई। इस प्रस्ताव के तहत आंध्र प्रदेश के लिए तीन राजधानी कार्यकारी राजधानी विशाखापट्टनम, विधायी राजधानी अमरावती और न्यायिक राजधानी कुर्नूल होगी। बता दें कि महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की भी दो राजधानी हैं।

नए प्रस्ताव के अनुसार, मुख्यमंत्री का कार्यालय, राजभवन और सचिवालय समेत कई सरकारी दफ्तर अब विशाखापट्टनम में शिफ्ट होंगे। हाई कोर्ट कुर्नूल में शिफ्ट किया जाएगा। वहीं आंध्र प्रदेश विधानसभा अमरावती में रहेगी। तीन राजधानी वाली अवधारणा के पीछे आंध्र प्रदेश सरकार का तर्क है कि वह प्रदेश के तीनों क्षेत्रों – उत्तरी तट, दक्षिणी तट और रायलसीमा का समान विकास चाहती है।

क्यों हो रहा है विरोध?
सरकार के नए प्रस्ताव का राज्य में मुख्य विपक्षी दल टीडीपी विरोध कर रही है। दोनों पार्टियां एक दूसरे पर समुदाय (जाति) को ध्यान में रखकर राजधानी के चुनाव का आरोप लगा रही हैं। अमरावती में नायडू समुदाय की आबादी अधिक है तो विजयवाड़ा-गुंटूर क्षेत्र में रेड्डी समुदाय की बहुलता है। चंद्रबाबू नायडू की पिछली सरकार द्वारा अमरावती को प्रदेश की नई राजधानी बनाया जाना लगभग तय था जिसके लिए 33 हजार करोड़ रुपये की लागत राशि भी मंजूर हो गई थी।

टीडीपी के 17 विधायक निलंबित
विधानसभा से पास होने के बाद सरकार के नए विधेयक को विधान परिषद में पेश किया जाएगा। हालांकि यहां सत्तारूढ़ वाईएसआर के पास बहुमत नहीं है। उच्च सदन में उसके केवल 9 सदस्य है। विधानसभा में सोमवार को प्रस्ताव पारित करने के दौरान हंगामा करने पर तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के 17 विधायकों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया। वहीं टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला को 31 जनवरी तक पुलिस रिमांड में भेज दिया गया है।

पुलिस प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
पुलिस के रोकने के बावजूद सोमवार को किसानों और अमरावती परिरक्षण जॉइंट ऐक्शन कमिटी (जेएसी) ने विधानसभा का घेराव करते हुए चारों ओर से चढ़ाई करना शुरू कर दिया था। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर उन्हें हिरासत में ले लिया। लाठीचार्ज के दौरान कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए और पुलिस के साथ झड़प से वहां भगदड़ जैसे हालात बन गए। प्रदर्शनकारियों द्वारा पत्थरबाजी से कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।

पुलिस ने सभी विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों को नजरबंद कर दिया था लेकिन गुंटूर से सांसद गल्ला जयदेव किसी तरह बाहर आ गए और किसानों के साथ विधानसभा के नजदीक पहुंच गए।

हर बार आंध्र ने किया राजधानी से समझौता
हर बार आंध्र प्रदेश को सीमाएं बदलने के साथ ही राजधानी से समझौता करना पड़ा है। 1953 में जब आंध्र अलग हुआ जो मद्रास तमिलनाडु में चला गया था। 1956 में आंध्र प्रदेश गठित होने के साथ ही कुर्नूल, हैदराबाद में मिल गया जिससे एक बार फिर प्रदेश को राजधानी के रूप में कुर्नूल खोना पड़ा। इसी तरह 2014 में तेलंगाना के अलग राज्य बनने पर हैदराबाद तेलंगाना की सीमा में आ गया। अमरावती को राज्य की राजधानी बनाए जाने की दिशा में काम होना था जिसके लिए 33 हजार करोड़ रुपये का बजट तय हुआ।

सरकार के नए प्रस्ताव से किसान भी नाराज
न सिर्फ विपक्ष बल्कि किसान भी सरकार के नए प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। जिन किसानों ने अमरावती को ड्रीम कैपिटल बनाने के लिए 33 हजार एकड़ जमीन दी थी वे सरकार के तीन राजधानी वाले कॉन्सेप्ट से बेहद नाराज हैं। सरकार पहले से ही अमरावती पर 5500 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन विवाद के बाद मेगा प्रॉजेक्ट से अधिकतर बाहरी फंडिंग वापस ली जा चुकी है।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours