आखिरी ओवर का कमाल, शार्दुल और शमी ने की बात

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नई दिल्ली
भारतीय तेज गेंदबाजों, शार्दुल ठाकुर और मोहम्मद शमी दोनों के हाथ में न्यू जीलैंड के खिलाफ टी20 इंटरनैशनल सीरीज में बड़ी जिम्मेदारी थी। दोनों को आखिरी ओवर फेंकने को कहा गया और वह भी तब जब बोर्ड पर बचाने के लिए ज्यादा रन भी नहीं थे। हैमिल्टन में तीसरे टी20 इंटरनैशनल में कीवी टीम को जीतने के लिए आखिरी ओवर में 9 रन चाहिए थे और बुधवार को खेले गए इस मैच में शमी ने सिर्फ 8 रन दिए और मैच को सुपर ओवर तक ले गए। जहां भारतीय टीम को जीत मिली। इसके बाद शुक्रवार को वेलिंग्टन में हुए सीरीज के चौथे मैच में शार्दुल ठाकुर ने आखिरी ओवर में सात रन बचाए और मैच सुपर ओवर में गया। यहां भी टीम इंडिया ने जीत हासिल की।

भारतीय लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल के साथ बातचीत में इन दोनों गेंदबाजों ने उस आखिरी ओवर के बारे में खुलकर बात की। ‘चहल टीवी’ पर दोनों ने बताया कि आखिरी ओवर के दौरान वे क्या सोच रहे थे।

नकल बॉल को बारे शार्दुल ने हंसते हुए कहा, ‘बचपन में हम उंगली टेढ़ा करके घी निकालते थे।’ भारत और न्यू जीलैंड के बीच सीरीज का पांचवां और आखिरी मैच रविवार 2 फरवीर को खेला जाएगा।

भारतीय लेग स्पिनर से बात करते हुए शमी ने कहा, ‘मैं अच्छी यॉर्कर फेंकने का प्रयास कर रहा था। मैंने पहली गेंद पर उसी की कोशिश की लेकिन गेंद मेरे हाथ से फिसल गई और छह रन के लिए गई। इसके बाद मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं था। मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि किस तरह अच्छी गेंदबाजी की जाए। मुझे लग रहा था कि मैच तो हम हार ही चुके हैं, तो कुछ अच्छे बाउंसर्स फेंके जाएं। जब विलियमसन आउट हुए तो मुझे अहसास हुआ कि शायद शॉर्ट बॉल से काम बन सकता है। जब स्कोर टाई हो गया तो मेरे पास सिर्फ एक ही विकल्प था कि किसी तरह मैं आखिरी गेंद पर कोई रन न बनने दूं। तो मैं यॉर्कर के लिए गया और इसका हमें फायदा हुआ।’

शार्दुल, जिन्हें शुक्रवार के मैच के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया ने भी आखिरी ओवर के प्रेशर के बारे में खुलकर बात की। इसके साथ ही उन्होंने उस ‘नकल बॉल’ के बारे में भी बताया जिस पर उन्हें विकेट मिला।

उन्होंने कहा, ‘काफी दबाव था। मैं पहली ही गेंद पर विकेट लेना चाहता ता। ज्यादातर बल्लेबाज पहली ही गेंद पर चौके या छक्के के लिए जाते हैं और मैच को जितना जल्दी हो सके खत्म करने की कोशिश करते हैं। मेरी कोशिश स्लो बॉल फेंकने की थी ताकि बल्लेबाज को बड़ा शॉट खेलने के जाल में फंसाया जा सके। यह प्लान काम कर गया। जब दूसरी गेंद पर चौका लगा तो दबाव और बढ़ गया। लेकिन ऐसी कठिन परिस्थिति में आप या तो छक्का या चौका लगाने की कोशिश करते हैं। हम देख चुके थे कि कैसे शमी भाई की पहली ही गेंद पर छक्का लगा था लेकिन इसके बाद उन्होंने पांच गेंदों पर तीन रन बचाए। तो मैंने सोचा वैसा यहां क्यों नहीं हो सकता।’

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