रायपुर: छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर दर्ज प्रकरणों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन कर दिया गया है. यह समिति सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एके पटनायक के नेतृत्व में काम करेगी. एके पटनायक इसके अध्यक्ष होंगे. इनके अलावा समिति में छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता, अतिरिक्त महाधिवक्ता, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव, महानिदेशक जेल (नक्सल ऑपरेशन प्रभारी), पुलिस महानिदेशक और बस्तर संभाग के कमिश्नर सदस्य होंगे.
ये फर्क है कांग्रेस और भाजपा की सरकार का। एक वो फासिस्ट सरकार थी जिसने छग के निर्दोष आदिवासियों पर फर्जी मामले लादे थे। तब इस प्रदेश के आदिवासी एक संवेदनहीन सरकार के अंतहीन अत्याचारों से त्रस्त थे। तब सरकार ने एक कमेटी बनाई भी थी तो वह आंखों में धूल झोंकने जैसी साबित हुई। 1/2
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 6, 2019
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक समिति में स्थानीय पत्रकार, वकील, पुलिस और समाज सेवियों की सहयाता ली जाएगी. समिति की रिपोर्ट को आधार कर सुधारात्मक कार्यवाही की जाएगी. इसमें नक्सल हिंसा के नाम पर गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किए गए आदिवासियों की रिहाई की दिशा में भी काम किया जाएगा. समिति जल्द ही अपना काम शुरू करेगी. इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम किया जाएगा.
हमने आदिवासियों से वादा किया था और अब हमने उन पर लादे गए प्रकरणों की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है। हमें भरोसा है कि जेलों में बन्द निर्दोष आदिवासियों को न्याय मिलेगा और अपमान भरी जिंदगी से मुक्ति मिलेगी। 2/2
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 6, 2019
बता दें कि नई सरकार के गठन के बाद ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐलान किया था कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गैरकानूनी तरीके से जेलों में बंद आदिवासियों और पत्रकारों की रिहाई की दिशा में सरकार काम करेगी. इसके लिए समिति का गठन किया जाएगा. समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी. इसी दिशा में कमेटी का गठन किया गया है.