हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की दहशत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चौबेपुर थाने की पुलिस उसका मूड देखकर बात करती थी। अपराधी का मूड खराब होता था तो थानेदार से लेकर, सिपाही तक उससे बात नहीं करते थे। बल्कि उसका मूड ठीक करने के लिए खिदमत में लग जाते थे। विकास दुबे थानेदार, दारोगा समेत लगभग सभी सिपाहियों को धमकी दे चुका था। दारोगा और सिपाही तो किसी मामले में गांव जाने में घबराते थे। जब उसका मूड ठीक होता था तो पूरे थाने को चाय नाश्ता और मुंह मीठा कराता था।
ढाई लाख के इनामी बदमाश विकास दुबे का खौफ पुलिसकर्मियों पर साफ दिखता था। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव में रहने वाले ग्रामीण किस कदर से दहशत में रहते होंगे। स्थानीय लोगों के मुताबिक, विकास की मर्जी के बगैर गांव में पत्ता तक नहीं हिलता था।
निलंबित दारोगा ने दी थी धमकी
सूत्रों के मुताबिक, चौबेपुर थाने में तैनात निलंबित दारोगा केके शर्मा बिकरू गांव गए थे। इसी दौरान दारोगा के पास विकास दुबे का फोन आया। विकास ने दारोगा को फोन पर धमकी देते हुए कहा कि चुपचार गांव से निकल जाओ वर्ना ठीक नहीं होगा। विभाग के ‘इतने लोगों को मारेंगे कि गिन नहीं पाओगे’। इसके साथ उसने दारोगा से कहा था कि अपने थानाध्यक्ष को समझा देन कि ‘ज्यादा हवा में न उड़े’। दारोगा ने इसकी जानकारी चौबेपुर थानाध्यक्ष को दी थी, लेकिन थानाध्यक्ष ने कोई ऐक्शन नहीं लिया था।
विकास के गुर्गों ने सिपाही को मारा था तमाचा
जानकारी के मुताबिक, हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को यह बिल्कुल भी नहीं पंसद था कि उसके गांव में पुलिस आए। उसका मानना था कि यदि गांव में पुलिस का आना-जाना शुरू हो गया तो ग्रामीणों के अंदर से विकास दुबे के नाम का खौफ खत्म हो जाएगा। एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि एक सिपाही भूल किसी काम से गांव के तरफ जा रहा था, उसे विकास के गुर्गो ने रोका और फिर तमाचा मारकर भगा दिया था।
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