उत्तराखंड में अचानक कैसे बढ़े गए खुदकुशी के इतने मामले?

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देहरादून
दुनिया भर के देश कोरोना महामारी की आपदा से जूझ रहे हैं। इस बीच भारत के पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड से परेशान करने वाली एक रिपोर्ट सामने आई है। नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्र ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में प्रदेश में के मामलों में 22 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। बताया गया कि इनमें सबसे ज्यादा ऐसे मामले में जिनमें पारिवारिक कारणों से मौत को गले लगाया गया है।

पारिवारिक विवादों के कारण आत्महत्या करने वाले लोगों के आंकड़ों में उत्तराखंड ने देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। उत्तराखंड में 76 प्रतिशत से ज्यादा आत्महत्या के कदम पारिवारिक विवाद के कारण उठाए गए। वहीं इसके बाद ओडिशा का नंबर आता है, जहां 60.7 फीसदी लोगों ने परिवार के कलह या विवाद के कारण जान दे दी। त्रिपुरा इस मामले में तीसरे नंबर पर हैं, जहां 55.4 प्रतिशत लोगों ने पारिवारिक विवाद के नाते आत्महत्या की है।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में एनसीआरबी के इन आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया गया कि साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में प्रदेश में आत्महत्या के मामले 22.6 फीसदी बढ़े हैं। उत्तराखंड में 2018 में के 421 मामले सामने आए थे, वहीं 2019 में आत्महत्या के 516 मामले सामने आए हैं। उत्तराखंड सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामलों में देश के शीर्ष 5 प्रदेशों में शामिल है।

हिमालयन राज्यों में तीसरे नंबर पर उत्तराखंड
10 हिमालयन राज्यों में उत्तराखंड तीसरे नंबर है। पहले नंबर पर 728 आत्महत्या के मामलों के साथ त्रिपुरा है जबकि हिमाचल प्रदेश 584 मामलों के साथ दूसरे नंबर है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड के 516 आत्महत्या के मामलों में 394 ऐसे हैं, जिनकी वजह पारिवारिक कलह या विवाद रही है। इनमें से 260 पुरुषों ने जबकि 134 महिलाओं ने आत्महत्या का कदम उठाया है। प्रेम प्रसंग के मामलों में आत्महत्या के 35 मामले सामने आए। इसमें 22 पुरुषों ने जबकि 13 महिलाओं ने आत्महत्या की।

किसानों का आत्महत्या का मामला ‘जीरो’
शादी ठीक से न निभा पाने की वजह से आतमहत्या करने वालों की संख्या 25 रही। बहुत से लोगों ने मानसिक बीमारी की वजह से आत्महत्या की। वहीं ड्रग अब्यूज या अल्कोहॉल अडिक्शन की वजह से 15 लोगों ने मौत का रास्ता चुना। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में किसान की आत्महत्या का एक भी मामला सामने नहीं आया। हालांकि, 54 छात्रों ने और 83 बेरोजगार लोगों ने आत्महत्या से अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

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