उद्धव से कांग्रेसियों का मोहभंग, क्या इशारा?

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मुंबई
राज्य के कांग्रेसी नेताओं का सरकार से मोह भंग हो रहा है। महाविकास आघाडी सरकार में शामिल कांग्रेस के मंत्री भी सरकार में अपनी उपेक्षा से त्रस्त हो गए हैं। ऊपर से शिवसेना और एनसीपी के बीच बनती ‘अंडरस्टैंडिंग’ से भी कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराता नजर आ रहा है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस विधायक दल के नेता राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात का ज्यादातर वक्त इन दिनों कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं की शिकायतें सुनने और उन्हें गठबंधन सरकार की मजबूरियां समझाने-बुझाने में जा रहा है। पिछले दिनों थोरात के पास शिकायत लेकर गए एक कांग्रेसी विधायक ने
एनबीटी से कहा, ‘थोरात समझा तो हमें रहे थे, लेकिन लग रहा था कि वह खुद को समझा रहे हैं।’

उद्धव-अजित नहीं होने दे रहे हैं तबादले
बता दें कि सत्ता के गलियारों में यह खबर अब आम हो चुकी है कि थोरात अपने मंत्रालय में कुछ क्लास वन अफसरों का तबादला चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री अजित पवार यह तबादले नहीं होने दे रहे। थोरात के एक करीबी ने कहा, ‘जितनी देर हो रही है अफसरों के बीच मंत्रीजी का रुतबा उतना ही घटता जा रहा है।’

पसंद के अफसर को भी नहीं रख पा रहे कांग्रेसी मंत्री
पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण भी नाराज हैं। उनका दर्द भी थोरात से अलहदा नहीं है। अशोक चव्हाण अपने मंत्रालय में सचिव स्तर के पसंदीदा अफसर को नहीं ला सके हैं। उनके मंत्रालय के जो अफसर हैं, वह उनकी सुनना तो दूर उन्हें फैसलों के बारे में बताते तक नहीं। पीडब्ल्यूडी मंत्रालय के विभाजन का प्रस्ताव कब तैयार हो गया, कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद अशोक चव्हाण को पता ही नहीं चला। पता भी तब चला, जब प्रस्ताव पेश होने से पहले सामने लाया गया। इस पर चव्हाण इतने भड़के कि सीधे मुख्यमंत्री को फोन लगा दिया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

‘क्या कांग्रेस शिवसेना की पालकी ढोने को है’
विजय वड्डेटीवार के सामाजिक न्याय मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र से जिस तरह मराठा समाज की आर्थिक सामाजिक विकास के लिए गठित संस्था सारथी को निकालकर अजित पवार के नियोजन मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में दिया गया, उसे लेकर भी कांग्रेसियों में काफी नाराजगी है। वडेट्टीवार के एक समर्थक ने सवाल खड़ा किया कि क्या कांग्रेस शिवसेना सरकार की पालकी ढोने के लिए है?

मंत्रियों के एकजुट ना होने से दुखी नितिन राउत
ऊर्जा मंत्री नितिन राउत का दुख थोड़ा अलग है। वह अपनी ही पार्टी के मंत्रियों के एकजुट न होने से दुखी हैं। पिछले दिनों उनके द्वारा की गई कुछ नियुक्तियों पर राकांपा और शिवसेना ने जिस तरह से आपत्ति ली, उस मामले में उन्हें कांग्रेसी मंत्रियों का अपेक्षित सहयोग नहीं मिला।

उद्धव से नाराजगी
अब ताजा उदाहरण राज्य के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री नसीम खान का है। नसीम खान ने बकरीद के मामले में सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर सरकार के रवैये पर नाराजी जताई है। सरकार के बकरों की ऑनलाइन खरीदी करने और प्रतीकात्मक कुर्बानी देने के सुझाव पर नसीम खान ने आपत्ति दर्ज कराई है। नसीम खान का अपनी ही सरकार के खिलाफ इस तरह खुलकर कांग्रेस का सरकार से मोहभंग का संकेत माना जा रहा है। इस मामले में जब एनबीटी ने नसीम खान से बात की तो उन्होंने कहा राज्य भर से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के फोन उनके पास आ रहे हैं और कार्यकर्ता एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि क्या यह हमारी सरकार है?

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