एक अनुमान के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में करीब 22 फीसदी आबादी दलित समुदाय की है। उत्तर प्रदेश में दलितों के बूते 2007 में मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और 2017 में बीजेपी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। साल 2012 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने वाली एसपी ने भी बीएसपी के इस वोट बैंक में सेंध लगाई थी। साल 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 84 सीटों में से बीजेपी को 69 सीटें मिलीं। साल 2007 में बीएसपी ने 62 और 2012 में समाजवादी पार्टी ने 58 सीटें जीती थीं।
‘बीजेपी के लिए दलितों का आकर्षण बचाए रखना कठिन’
दलित राजनीति के विशेषज्ञ अशोक चौधरी ने कहा, ‘बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में दलित वोटों को प्रभावित किया, लेकिन अब उस आकर्षण को बचाए रखना कठिन है।’ उत्तर प्रदेश में इस समय हाथरस के अलावा बलरामपुर जिले में दलित युवती के साथ गैंगरेप और हत्या का मामला राजनीतिक दलों के लिए मुद्दा बना हुआ है। हाथरस में पुलिस अधीक्षक समेत पांच अधिकारियों के निलंबन और सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद भी विपक्ष इस मसले को छोड़ने को तैयार नहीं है।
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कांग्रेस, बीएसपी और एसपी ने की कड़ी कार्रवाई की मांग
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने हाथरस के जिलाधिकारी पर कार्रवाई की मांग की है। बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी हाथरस के डीएम को हटाने पर जोर दिया है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तो हाथरस में घटना के समय तैनात रहे सभी अफसरों के नार्को टेस्ट कराये जाने की मांग कर रहे हैं। बीजेपी के प्रमुख दलित नेता और उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने आरोप लगाया है कि विपक्ष हाथरस का सच सामने नहीं आने देना चाहता है और वह जातीय दंगा भड़काना चाहता है।
मुख्यमंत्री ने भी कहा, सांप्रदायिक दंगे चाहते हैं कुछ लोग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है, ‘जिसे विकास अच्छा नहीं लगा रहा है, वे लोग जातीय और सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं। इस दंगे की आड़ में राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए उनको अवसर मिलेगा, इसलिए नए षड़यंत्र कर रहे हैं।’ लखनऊ के हजरतगंज थाने में मुख्यमंत्री की छवि खराब करने और माहौल खराब करने की साजिश में शनिवार की रात पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया है।
‘सरकार ने सही समय पर ऐक्शन नहीं लिया तो उसे नुकसान होगा’
दलित चिंतक बद्री नारायण का कहना है, ‘जो सत्ता में है उसको कार्रवाई करनी चाहिए और जो विपक्ष में है उसे आवाज उठानी चाहिए। इस मामले में जो जमीन पर लड़ते दिखेगा उसे लाभ होगा और अगर सरकार ने सही समय पर ऐक्शन नहीं लिया तो उसे नुकसान होगा।’ हालांकि गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष रहे अशोक चौधरी कहते हैं कि हाथरस मामले में कांग्रेस ने आगे बढ़कर आंदोलन की शुरुआत की है और उसकी कोशिश अपना खोया जनाधार पाने की है।
शनिवार को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी गए थे हाथरस
हाथरस की पीड़िता की मौत के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने घटनास्थल पर जाने की कोशिश की लेकिन प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा में ही इनको रोक दिया था। प्रतिबंध हटने के बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने शनिवार को हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात की और तबसे कांग्रेस काफी आक्रामक है। समाजवादी पार्टी भी दो अक्टूबर से आंदोलनरत है और उसका प्रतिनिधि मंडल हाथरस और बलरामपुर गया है।
हाथरस में 14 सितंबर को हुई घटना, पिछले हफ्ते हुई युवती की मौत
हाथरस में 14 सितंबर को दलित युवती के साथ कथित रूप से गैंगरेप का मामला सामने आया। पिछले मंगलवार को उसकी दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई। बुधवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। रात में जबरन अंतिम संस्कार कराए जाने का विपक्षी दलों ने आरोप लगाया। तबसे इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और उत्तर प्रदेश की राजनीति दलितों के उत्पीड़न के मुद्दे पर केंद्रित हो गई है।
यूपी की इन सीटों पर होने हैं उपचुनाव
योगी सरकार के मंत्री चेतन चौहान और कमल रानी वरुण के निधन से खाली हुईं अमरोहा जिले की नौगांव सादात और कानपुर जिले की घाटमपुर, वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन से उनकी सीट बुलंदशहर, पूर्व मंत्री एस पी बघेल के आगरा से सांसद बनने के बाद फिरोजाबाद की टूंडला, कुलदीप सेंगर के सजायाफ्ता होने से उन्नाव जिले की बांगरमऊ, जनमेजय सिंह के निधन से देवरिया और एसपी के पारसनाथ यादव के निधन से जौनपुर जिले की मल्हनी सीट पर तीन नंबर को उपचुनाव होने हैं। इनमें टुंडला और घाटमपुर सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।