'कश्मीर पर पाक की नसीहत की जरूरत नहीं'

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की रिहाई के बाद की सियासत में कुछ नया होने का कयास लगाया जा रहा है। वैसे भी वहां एक नई पार्टी के गठन के बाद से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। राज्य में और खास तौर पर घाटी के भीतर क्या कुछ महसूस किया जा रहा है, यह जानने को एनबीटी नैशनल ब्यूरो के विशेष संवाददाता नरेंद्र नाथ ने बात की वहां के सीनियर पॉलिटकल लीडर और वर्तमान में पीडीपी के राज्यसभा सांसद नजीर अहमद से। नजीर अहमद की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात हुई है। उनके रवैये में एक खास तरह की नरमी दिख रही है। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:

आप पिछले दिनों प्रधानमंत्री से मिले, कोई खास मकसद था उस मुलाकात का?
पहले तो यह साफ कर दूं कि पीएम से मिलने के लिए मैंने ही समय मांगा था। उन्होंने मिलने का समय दिया और हमारी बातों को ध्यानपूर्वक से सुना। मैंने कुछ सुझाव दिए। उन पर उन्होंने विचार करने का भरोसा भी दिलाया। हमने अपनी पार्टी के नेता महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला सहित सभी कश्मीरी नेताओं की रिहाई की मांग की। उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ दिनों में सभी बाहर आ जाएंगे और पहले की तरह माहौल सामान्य हो जाएगा। मैंने लोगों की इस सरकार से अपेक्षा के बारे में भी बात की और बताया कि किस तरह अब लोगों के बीच जाना चाहिए।

फारूख अब्दुल्ला को लगभग 8 महीने हिरासत में रखने के बाद अब जब रिहा कर दिया गया है तो घाटी की सियायत को किस दिशा में जाते देख रहे हैं आप?
फारूख साहब की रिहाई से पूरे कश्मीर में बहुत सकारात्मक संदेश गया है। यह सही समय पर लिया गया सही फैसला है। अब सभी मान रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ठीक होने की ओर है। अब हम चाहते हैं कि बाकी नेता भी जो बंद हैं उन्हें छोड़ा जाए। उम्मीद करते हैं कि इस बारे में भी जल्दी ही फैसला किया जाएगा।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात को आप किस नजर देखते हैं?
अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद वहां कुछ दिनों तक लोगों को समझने में टाइम लग गया। अब लोग सामान्य जीवन जीने की ओर बढ़ने लगे हैं। कह सकता हूं कि वहां लोगों ने सब स्वीकार कर लिया है। स्थिति सामान्य है। केंद्र सरकार से संवाद भी बन रहा है। लोगों को केंद्र की ओर से भरोसा दिलाया जा रहा है कि उनके हक को खत्म नहीं किया जा सकता।

जम्मू-कश्मीर में नई पार्टी बनी है। उस पार्टी का क्या भविष्य आप देख रहे हैं?
मेरा उन लोगों से कोई वास्ता नहीं है, लेकिन हमारा देश डेमेाक्रेटिक है। इसलिए यहां हर किसी को राजनीतिक सिस्टम का हिस्सा बनने का अधिकार है। इस क्रम में अगर कोई नई पार्टी उभरी है तो हमें इसका स्वागत करना चाहिए। इस नए राजनीतिक दल को हम सब शुभकामना देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह भी राज्य के हित में सोचेगा और इसी के मुताबिक सियासत करेगा।

जम्मू-कश्मीर में चुनाव कब होने की उम्मीद है?
इसका जवाब तो केंद्र में बैठे लोग ही दे सकते हैं, लेकिन मुझे अभी इसके लिए माकूल वक्त नहीं लग रहा। मुझे लगता है इसमें थोड़ा समय लगेगा। एक साल लग सकता है। लेकिन वहां राजनीतिक प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू किए जाने की उम्मीद है।

आपकी महबूबा मुफ्ती से कोई बात हुई है?
पिछले कुछ महीने से कोई बात नहीं हुई है। लेकिन पीडीपी के तमाम कार्यकर्ता एक दूसरे के संपर्क में हैं। उम्मीद करते हैं कि जल्द ही सभी की हिरासत खत्म हो जाएगी।

कोरोना वायरस पर हुई सार्क देशों की मीटिंग में पाकिस्तान ने कश्मीर का मसला उठाते हुए कहा कि वहां सब बंद होने के कारण एहतियाती कदम उठाने में परेशानी हो रही है?
पाकिस्तान को अपने देश के अंदर के हालात पर ध्यान देना चहिए। यहां हम लोग अपने देश के अंदर इस मोर्चे पर लड़ लेंगे। पाकिस्तान के हस्तक्षेप को न दिल्ली स्वीकार करेगी और न कश्मीर स्वीकार करेगा। देश के अंदर यहीं के नियम-कायदे के अनुसार काम होंगे। हमें कश्मीर पर पाकिस्तान की न तो फिक्र की कोई जरूरत है और न नसीहत की।

आप पर यह इल्जाम भी लग रहा कि कि आपकी बीजेपी से कुछ निकटता बढ़ रही है?
देखिए, मुझे नहीं पता यह किस आधार पर कहा जा रहा है। कश्मीर के हित के लिए जब भी मौका मिला, सबसे अधिक आवाज मैंने उठाई। राज्यसभा में भी जब मौका मिला वहां के लोगों के हितों की बात की। हां, अपने लोगों के हित के लिए मैं सबसे मिलता-जुलता हूं और कोई भी नेता यही रास्ता अपनाना चाहेगा।

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