मुम्बई: Luka Chuppi Review: बॉलीवुड ने पिछले कुछ समय में कहानियों को लेकर अपना गियर बदला है, और कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) तथा कृति सेनन (Kriti Sanon) की ‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’ इसी कड़ी में आई फिल्म है. छोटे शहर की जिंदगी, रूढ़ियां और परेशानियां तथा खुशियां सब कुछ ‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’ अपने में समेटे है. इसके साथ ही फिल्म की पूरी टीम की एक्टिंग भी काफी मायने रखती है, और इन सब कसौटियों पर ‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’ निराश नहीं करती है और दर्शकों को मनोरंजन की डोज देने में कोई कमा नहीं छोड़ती है. एक्टिंग के मोर्चे पर कार्तिक आर्यन हर फिल्म के साथ निखरते जा रहे हैं. छोटे शहरों की बॉलीवुड में खुलती खिड़कियों का ही प्रतिनिधित्व करती है ‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’. ‘लुका छुपी’ में सभी कलाकारों ने बहुत ही बेहतरीन अंदाज से काम किया है.
लुका छुपी (Luka Chuppi)’ की कहानी मथुरा के गुड्डू (कार्तिक आर्यन) की है जिसे रश्मि (कृति सेनन) से प्यार हो जाता है. गुड्डू ठहरे छोटे शहर के युवा, इश्क हुआ तो शादी की बात करते हैं लेकिन खुले मिजाज वाली रश्मि शादी से पहले रिश्ते को आजमाने के लिए लिव-इन की बात करती हैं तो दोनों की जिंदगी में ट्विस्ट आ जाता है. रश्मि के पिता ठहरे नेता और वह भी लिव-इन के धुर विरोधी. गुड्डू और रश्मि पति-पत्नी बनकर रहने लगते हैं. लेकिन एक दिन घरवालों को इसकी भनक लग जाती है, और फिर शुरू हो जाता है ग्रेट इंडियन फैमिली ड्रामा. इस तरह फिल्म की कहानी में छोटे शहर की मानसिकता और वहां की जिंदगी की गहरी से पड़ताल है. लेकिन कहानी थोड़ी खींची हुई है. फिल्म में कलाकारों की एक्टिंग और हंसी का पुट फिल्म को बोर नहीं होने देता है.
‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’ के सभी एक्टर एक्टिंग के मोर्चे पर खरे उतरे हैं. कार्तिक आर्यन ने गुड्डू के किरदार को बखूबी निभाया है और शादी का उनका उतावलापन बहुत ही मजेदार लगता है. वहीं, ‘बरेली की बर्फी’ में नजर आ चुकीं कृति सेनन ने भी एक बेबाक लड़की के किरदार को बहुत ही शानदार ढंग से निभाया है. विनय पाठक का कड़क अंदाज भी दिल में उतर जाता है, और पंकज त्रिपाठी को देखना एक बार फिर दिलचस्प रहा है. लेकिन अब्बास के किरदार में अपारशक्ति खुराना पर जाकर नजरें टिक जाती हैं और उन्हें फिल्म में थोड़ा और ज्यादा देखने का मन करता है. अपारशक्ति फिल्म-दर-फिल्म अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं.
‘लुका छुपी (Luka Chuppi)’ में डायरेक्शन की बात करें तो लक्ष्मण उतेकर ने अच्छा काम किया है लेकिन फिल्म को थोड़ी कसावट और कहानी को थोड़ा और ढर्रे पर रखकर वे इसे एक शानदार फिल्म बना सकते थे. फिल्म का म्यूजिक नया नहीं है क्योंकि सारे ही सॉन्ग पुराने हैं और उन्हें रिक्रिएट किया गया है. इस तरह फिल्म म्यूजिक के मामले में कुछ नया नहीं देती है. लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि सारे गाने ही सुपरहिट रह चुके हैं. फिर मोरल पुलिसिंग मसले को भी फिल्म में दिखाया गया है. इस तरह ‘लुका छुपी’ छोटे शहर की आत्मा अपने समेटे हुए वन टाइम वॉच एंटरटेनर है.