अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 20 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ में भी छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन और इससे जुड़े घटक संगठन देशव्यापी किसान आंदोलन में शहीद किसानों को गांव-गांव में श्रद्धांजलि देंगे और आम सभाएं करके किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ संघर्ष तेज करने का संकल्प लेंगे।
छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम और छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते ने बताया कि देशव्यापी किसान आंदोलन में अभी तक 23 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं। ये सभी किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे थे। इन सभी किसानों की मौतों के लिए मोदी सरकार और उसकी किसान विरोधी नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि 20 दिसम्बर को पूरे प्रदेश में उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी तथा उनके संघर्ष को और तेज करने का संकल्प लिया जाएगा, ताकि किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार को मजबूर किया जा सके।
किसान आंदोलन के नेताओं ने मोदी सरकार की हठधर्मिता की कड़ी निंदा की तथा कहा कि किसान समुदाय और संगठनों से बातचीत किये बिना कानून बनाना और अडानी-अंबानी के दबाव में उनकी तिजोरियों को भरने इन कानूनों पर अड़े रहना सरासर अलोकतांत्रिक आचरण है। अब यह सरकार फर्जी किसान संगठनों के साथ बातचीत का दिखावा कर रही है, जबकि आंदोलनरत किसानों को हर तरह से बदनाम करने की कोशिश की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि 23 आंदोलनकारी किसानों की शहादत के बाद भी यह सरकार किसान विरोधी कानूनों की वापसी के सवाल पर मौन साधे हुए है, जो शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि इन किसानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और उनकी कुर्बानी से प्रेरणा लेकर प्रदेश में भी इन कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन तेज किया जाएगा।