मीडिया पर रेग्युलेशन के मसले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मीडिया रेग्युलेशन करना चाहती है तो पहले डिजिटल मीडिया के लिए गाइडलाइंस पर फैसला लेना चाहिए। डिजिटल मीडिया की पहुंच ज्यादा तेज है। सुप्रीम कोर्ट ने एक टीवी चैनल के प्रोग्राम पर सवाल उठाया था और कहा कि मीडिया में सेल्फ रेग्युलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
टीवी चैनल के प्रोग्राम में दावा किया गया था कि सिविल सर्विसेज में एक समुदाय के मेंबरों की घुसपैठ का पर्दाफाश किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में इस कार्यक्रम के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि डिबेट में सनसनी पैदा की जा रही है। अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा था। साथ ही टीवी चैनल को भी जवाब दाखिल करने को कहा गया था।
शुक्रवार को होगी मामले की सुनवाई
गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मामले की सुनवाई शुक्रवार को करेंगे। जैसे ही मामले की सुनवाई शुरू हुई टीवी चैनल के वकील श्याम दिवान ने कहा कि उनकी ओर से जवाब दाखिल किया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि अगर सुप्रीम कोर्ट मीडिया रेग्युलेशन का फैसला करती है तो पहले डिजिटल मीडिया को रेग्युलेट करने की जरूरत है क्योंकि ये ज्यादा तेज पहुंच वाला है और वाट्सएप, टि्वटर और फेसबुक एप्प के जरिये ज्यादा वायरल हो रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया को लेकर पर्याप्त नियम
सुप्रीम कोर्ट को केंद्र ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया को लेकर पर्याप्त नियम हैं और न्यायिक फैसले पहले से हैं। लेकिन मामले की गंभीरता के हिसाब से अगर विचार किया जाए तो कोर्ट अगर तय करती है तो पहले डिजिटल मीडिया को रेग्युलेट करने की जरूरत है। मुख्य धारा की मीडिया चाहे प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो उसमें प्रकाशन एक बार होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया में ज्यादा तेजी से होता है और ज्यादा व्यापक तरीके से होता है और देखने वालों की व्यापकता है और ये सब इसलिए होता है कि तमाम सेशल मीडिया एप हैं जिनके जरिये मैसेज वारयल होते हैं।
एक चैनल के एपिसोड के कारण गाइडलाइंस बनाना सही नहीं
केंद्र सरकार ने कहा है कि एक चैनल के एपिसोड के कारण अदालत को गाइडलाइंस नहीं बनाना चाहिए। अगर गाइडलाइंस बनाया जाना है तो पहले डिजिटल मीडिया के लिए होना चाहिए। डिजिटल का फैलाव ज्यादा है। केंद्र सरकार ने कहा है कि विचार अभिव्यक्ति की आजादी और उसमें संतुलन को लेकर पहले से सरकार के तमाम विधान हैं साथ ही कई पहले के जजमेंट हैं। अदालत को केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि मौजूदा याचिका सिर्फ एक चैनल को लेकर है और ऐसे में केंद्र सरकार को इस मामले में कोई गाइडलाइंस जारी नहीं करना चाहिए।
एपिसोड के प्रसारण पर सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी है रोक
पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक टीवी चैनल को उनके अगले एपिसोड के प्रसारण पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा था कि प्रोग्राम पहली नजर में अल्पसंख्यक समुदाय को बदनाम करने वाला लगता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पांच नागरिकों की एक कमिटी का गठन किया जा सकता है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सेल्फ रेग्युलेशन के लिए मानक तय करे। अदालत ने कहा कि इस कमिटी में कोई भी मेंबर पॉलिटिकल विभेद वाले प्रकृति के नहीं होंगे और हम चाहते हैं कि सदस्य ऐसे हों जिनका व्यक्तित्व सराहनीय कद वाला हो। सुप्रीम कोर्ट ने एक टीवी चैनल के प्रोग्राम पर सवाल उठाया था और कहा कि मीडिया में सेल्फ रेग्युलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि कुछ मीडिया ग्रुप के प्रोग्राम में आयोजित होने वाली डिबेट चिंता का विषय है।
चैनल के प्रधान संपादक ने कहा- हमने जनहित का मुद्दा उठाया
वहीं, न्यूज चैनल के प्रधान संपादक की ओर से अपने कार्यक्रम का बचाव किया गया और सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा गया कि आईएएस, आईपीएस सर्विस के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के आवेदकों को सहयोग करने के लिए प्रतिबंधित संगठनों से फंड मिलता है। कार्यक्रम पर बैन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये जनहित से जुड़ा मामला है। मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है इस पर पब्लिक डिबेट की जरूरत है। कार्यक्रम का मकसद षडयंत्र को उजागर करना है और मामले की जांच होनी चाहिए।