कोरोना: इन 8 दवाइयों पर देश में क्लीनिकल ट्रायल

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नई दिल्ली
नीति आयोग और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने विस्तार से बताया कि देश में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए वैक्सीन तैयार करने के दिशा में क्या हो रहा है। नीति आयोग के सदस्य और कोरोना पर गठित एंपावर्ड ग्रुप- 1 के चेयरमैन डॉ. वी के पॉल ने यह भी बताया कि वैक्सीन डिवेलप करने की प्रक्रिया में देश में किन दवाइयों पर क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 8 दवाइयों के नाम गिनाए और कहा कि देश के अलग-अलग संस्थानों की प्रयोशालाओं में इन दवाइयों पर परीक्षण हो रहा है।

कुछ ट्रायल से जगी आस
उन्होंने कहा, ‘देश में कम-से-कम आठ वैक्सीन कैंडिडेट्स के ऊपर काम हो रहा है। इनमें से चार अपेक्षाकृत आगे हैं। यह बहुत बड़ी बात है। अगर हम राष्ट्रीय विज्ञान प्रयोशालाओं (आईसीएमआर, डीबीटी या सीएसआईआर आदि) में बन रहे वैक्सीन की बात करें तो वहां छह वैक्सीन कैंडिडेट्स पर काम चल रहा है और इनमें दो-तीन से बहुत उम्मीद है।’

BCG टीके का हो सकता है बड़ा रोल
इसी क्रम में बीसीजी वैक्सीन (BCG vaccine) के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर हमने बचपन में इसे लिया होगा तो दोबारा लेने पर बॉडी का इम्यून सिस्टम अपने आप मजबूत हो जाता है। तब हमारा शरीर सभी बीमारियों से लड़ता है और ऐसा लगता है कि यह कोविड-19 के खिलाफ भी लड़ता है।’ दरअसल, बीसीजी टीके का इस्तेमाल देश ही नहीं दुनियाभर में दशकों से टीबी से बचाव के मकसद से किया जाता है।

देश में 91.9% बच्चों को पड़ा BCG टीका
भारत के साथ-साथ एशिया, अफ्रीका और लैटीन अमेरिका के कई देशों में बीसीजी टीके के लोकर राष्ट्रीय नीति बनी हुई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में 12 से 23 महीने के 91.9 प्रतिशत बच्चों को बीसीजी का टीका लगा है। उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों को छोड़ दें तो करीब-करीब सभी राज्यों में 90% से ज्यादा बच्चों को बीसीजी वैक्सीन दिया गया है। वहीं, नैशनल हेल्थ प्रोफाइल के मुताबिक, भारत में 2,800 लाख बीसीजी वैक्सीन डोज की उत्पादन क्षमता है।

इन 8 दवाइयों पर चल रहा क्लीनिकल ट्रायल
बहरहाल, डॉ. पॉल ने बताया कि बीसीजी के अलावा भी जिन दवाइयों पर ट्रायल चल रहे हैं वो सभी एंटी वायरल ड्रग्स हैं। उन्होंने बताया कि अभी बीसीजी के अलावा फेवीपिरवीर (), ACQH, इटोलीजुमैब (Itolizumab), माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू (Mycobacterium W), कॉन्वेलेसेंट प्लाज्मा (Convalescent plasma), अर्बिडॉल (Arbidol) और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) और रेमडेसिवीर (Remdesivir) पर क्लीनिकल ट्रायल जारी है।

उन्होंने कहा, ‘फेवीपिरवीर एक ओरल मेडिसिन है जो ट्रायल में चली हुई है। एसीक्यूएच पौधे से बनी दवाई जिसे फाइटोफार्मास्युटिकल कहा जाता है। इटोलिजुमैब ऑर्थराइटिस में दी जाती है। इसी तरह, माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू भी इम्यूनिटी बढ़ाता है। इसका ट्रायल पीजीआई और दूसरे संस्थानों में चल रहा है। कन्वेलेशेंट प्लाज्मा का ट्रायल आईसीएमआर अपनी देखरेख में करवा रही है। अर्बिडॉल पर सीएसआईआर में काम हो रहा है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन पर तो ट्रायल चल ही रहा है। साथ ही, रेमडेसिवीर पर भी नजर है। इस पर सॉलिडैरिटी ट्रायल के अंदर और बाहर
काम हो रहे हैं।’

आइडिया शेयर करने की अपील
डॉ. पॉल ने कहा कि इन रीयल ड्रग मॉलेक्यूल्स पर हमारे देश में ट्रायल चल रहे हैं और अग्रणी भूमिका निभा रहा है। साथ ही, नियम-कायदों, विज्ञान, सुरक्षा और नैतिकता, सबका ख्याल रखते हुए ट्रायल हो रहे हैं। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपील की कि अगर किसी के पास कोविड-19 वैक्सीन को लेकर कोई आइडिया भी हो तो वो संपर्क करें। उन्होंने कहा, ‘वैज्ञानिक, स्टार्टअप्स, इंडस्ट्री, शैक्षिक संस्थान, क्लीनिशियंस, सबसे अपील है कि जिनके पास भी वैक्सीन पर आरऐंडडी को लेकर कोई आइडिया है तो वो नीति आयोग या भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के विजय राघवन से संपर्क करें।’

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