नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने बड़े पैमाने पर लोगों को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। इस महामारी के कारण कई लोगों की नौकरी चल गई और व्यवसाय भी ठप हो गए। कुछ लोग मजबूरन कम पैसे में नौकरी कर रहे हैं तो कुछ लोग रोजगार के नए अवसर ढूंढ रहे हैं। कुछ लोग ऐसे काम करने पर भी मजबूर हैं, जिन्हें वो पहले किसी सूरत में नहीं करना चाहते थे। ब्रिटेन के कॉलेजों में पढ़ रही लड़कियां भी इनमें से एक हैं। इन लड़कियों को अपने जीवनयापन के लिए जिस्मफरोशी का काम करना पड़ रहा है। प्रॉस्टीट्यूट्स के लिए काम करने वाली एक संस्था की मानें तो जिस्मफरोशी के धंधे में कॉलेज की लड़कियों की संख्या तीन गुना तक बढ़ी है।
जीवनयापन के लिए बेच रही जिस्म
‘इंग्लिश कलेक्टिव ऑफ प्रॉस्टीट्यूट’ नाम की संस्था ने बताया कि सेक्स वर्क के लिए लगातार यूनिवर्सिटी और कॉलेज की लड़कियों के कॉल्स आ रहे हैं। इस साल इनमें तीन गुना की बढ़ोत्तरी हुई है। ज्यादातर ऐसी लड़कियां जिस्मफरोशी के धंधे में उतरने के लिए कॉल कर रही हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। इनके लिए खर्चे चलाना मुश्किल हो गया है, इसलिए वे सेक्स वर्क के जरिए पैसा कमाकर अपना जीवनयापन करना चाहती हैं।
कॉलेज-यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी बड़ी समस्या
मिरर वेबसाइट के साथ बातचीत में ‘इंग्लिश कलेक्टिव ऑफ प्रॉस्टीट्यूट’ संस्था की प्रवक्ता लॉरा वॉटसन ने कहा कि कोरोना के बाद कॉलेज-यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी हुई है। वहीं, इसी दौरान पारंपरिक जॉब्स भी काफी कम हुई है। पहले स्टुडेंट्स आमतौर पर मॉल्स, शॉप्स या पब-बार में काम करते थे। लेकिन, महामारी के चलते इन पार्ट टाइम प्रोफेशन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। ऐसी स्थिति में उनके पास प्रॉस्टीट्यूशन के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
ऑनलीफैंस जैसी वेबसाइट में भी सक्रिय हुई लड़कियां
वॉटसन ने आगे बताया कि ब्रिटेन में लॉकडाउन लगने के बाद बहुत सारी महिलाएं ऑनलीफैंस जैसी वेबसाइट्स पर एक्टिव हुई थीं। इन वेबसाइट्स पर लड़कियां अपनी हॉट तस्वीरों के जरिए पैसा कमा रही थीं। इनमें से कई महिलाएं काफी सफल हो चुकी हैं और अब काफी अच्छा पैसा कमा रही हैं। उन्होंने कहा कि ये मुश्किल वक्त है। नौकरी नहीं होने से लोग डिप्रेशन में जा रहे हैं। लड़कियों को कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा। इसलिए वो जिस्मफरोशी के धधे में उतरने पर मजबूर हैं। आपको बता दें कि इस संस्था की शुरुआत साल 1975 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकारों के लिए जागरूक करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।