कोरोना: दफनाने पर आपत्ति के खिलाफ SC पहुंची जमीयत

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नई दिल्ली
कोरोना से मरने के बाद शव को दफनाए जाने पर आपत्ति जताने वाली याचिका के खिलाफ () ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) में अर्जी दाखिल कर मामले में दखल देने की गुहार लगाई है। जमीयत उलेमा-ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में उस मामले में दखल की इजाजत मांगते हुए अर्जी दाखिल की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि मुंबई के घनी आबादी वाले कब्रिस्तान में शवों को दफनाए जाने के कारण आसपास के लोगों में खौफ का माहौल है क्योंकि कोरोना फैलने का खतरा है।

दफनाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
दरअसल प्रदीप गांधी नामक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि कोरोना से मरने वालों को दफनाए जाने से आसपास वायरस फैलने का खतरा है। इस मामले में पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में उन्होंने अर्जी दाखिल की थी लेकिन हाई कोर्ट ने बांद्रा स्थित कब्रिस्तान में कोविड 19 से हुई मौत के बाद शव को दफनाने पर रोक लगाने से मना कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है।

याचिका का जमीयत ने किया विरोध
इसी याचिका का विरोध करते हुए जमीयत उलेमा ए हिंद के एडवोकेट एजाज मकबूल ने अर्जी दाखिल की है। याचिका में कहा गया है कि जमीयत उलेमा ए हिंद मुस्लिमों के सभ्यता संस्कृति के संरक्षण के लिए काम करता है और इस्लाम में शव को दफनाया जाना उसके धर्म का अभिन्न अंग है ऐसे में इस मामले में उन्हें दखल देने की इजाजत दी जाए। इस्लाम धर्म से मरने के बाद दफनाया जाना अनिवार्य है। ये धर्म को अपनाने के संवैधानिक अधिकार के तहत संरक्षित है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन को बनाया आधार
याचिकाकर्ता ने अर्जी दाखिल कर कहा है कोरोना मरीज की मौत के बाद शव का प्रबंधन कैसे किया जाए उसको लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी किए हैं और उसी को आधार बनाया गया है। अर्जी में कहा गया है कि गाइडलाइंस के मुताबिक कोरोना ड्रॉपलेट से फैलता है और कोरोना के मरीज के शव से उसके फैलने की संभावना नहीं है अगर उचित ऐहतियात बरती जाए। याचिका में जमीयत ने कहा कि एक आम मिथ है कि जब कोई संक्रमण वाली बीमारी से मरता है तो उसे जलाया जाना चाहिए।

दावा- शव से कोरोना फैलने का साक्ष्य नहीं
याचिका में कहा कि ये सही नहीं है। अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है कि शव से दूसरे को फैल गया है। याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार की एडवाइजरी स्पष्ट करता है कि कोरोना से मरा है उसे दफनाया जा सकता है या फिर जलाया जा सकता है लेकिन उसमें ऐहतियात बरते जाने के निर्देश हैं। गाइडलाइंस में साफ है कि कोरोना से मरने वाले लोगों को दफनाने से कोई खतरा नहीं है और यही कारण है कि अमेरिका व यूरोपीय देशों में भी मरने वालों को दफनाया जा रहा है। इससे वायरस फैलने की बात नहीं है।

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