कोरोना: धर्म विशेष का उत्‍पीड़न! SC में याचिका

1 min read

समन्वया राउतरे, नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट () में गुरुवार को दाखिल की गई एक जनहित याचिका () में यह मांग की गई कि कोरोना संक्रमण (Coronavirus) के मामलों की () बंद की जाए और अराजक तत्वों के हाथों कोरोना मरीजों को प्रताड़ित किए जाने की हरकतों पर लगाम लगाई जाए। यह याचिका तीन युवा वकीलों ने दाखिल की। इसमें कहा गया कि समानता के अधिकार की संविधान में दी गई व्यवस्था कहती है कि राज्य महामारी के दौरान भी अपने सभी नागरिकों से समान बर्ताव करेगा।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह सुनिश्चित करने की मांग की गई कि धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर मरीजों का वर्गीकरण न किया जाए। यह याचिका ऐसी रिपोर्ट्स के बाद आई है कि केंद्रीय मंत्रालयों की ओर से दिए गए आंकड़ों में कोरोना पॉजिटिव केस की संख्या में उछाल को निजामुद्दीन के तबलीगी मरकज से जोड़कर पेश किया गया। याचिका में दलील दी गई कि मुसलमानों और उत्तर-पूर्व के लोगों की ऐसी प्रोफाइलिंग के कारण उन पर हमले होने और उन्हें प्रताड़ित करने की घटनाएं सामने आई हैं। इसमें कोर्ट से अनुरोध किया गया कि वह केंद्र को आधिकारिक आंकड़ों में ऐसी प्रोफाइलिंग न होने देने की गाइडलाइंस बनाने का निर्देश दे।

‘अल्‍पसंख्‍यकों पर बढ़ेगा प्रताड़ना का खतरा’
इसमें कहा गया कि ऐसी प्रोफाइलिंग से सामाजिक दंश की स्थिति भी बनेगी। याचिका में कहा गया कि न केवल इन वर्गों के बुनियादी सेवाएं पाने में बाधा आ रही है, बल्कि हेल्थ केयर में भी दिक्कत हो रही है। यह सब समानता के मौलिक अधिकार का हनन है। याचिका में कहा गया कि ऐसी प्रोफाइलिंग से दलितों, धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों की प्रताड़ना का खतरा बढ़ जाएगा। वकीलों आंचल सिंह, दिशा वाडेकर और एम वसीम ने इस जनहित याचिका में कहा कि इससे उनके आजीविका के अधिकार पर भी विपरीत असर पड़ेगा।

इससे पहले दाखिल की गई कुछ याचिकाओं में तबलीगी मरकज को कोविड 19 के मामलों में बढ़ोत्‍तरी के लिए दोषी ठहराने के प्रयासों पर सवाल किए गए थे, लेकिन इस याचिका में ऐसी सोशल प्रोफाइलिंग रोकने के दिशानिर्देश बनाने की मांग की गई है।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours