कोरोना: निशाने पर WHO, यूएस ने रोकी फंड

1 min read

नरेंद्र नाथ
कोरोना संकट के बीच की साख पर भी गंभीर सवाल उठने लगे हैं। विश्व के ताकतवर देशों के निशाने पर यह संगठन लगातार आ रहा है और आरोप लगा रहा है कि इनकी ओर से कोरोना के भयावह प्रकोप से बचने के लिए न तो समय पर चेतावनी जारी की गयी न इसके लिए जरूरी कदम उठाए गए। इस साल के शुरू में हुए कोरोना कहर को दूसरे विश्वयुद्ध के बाद सबसे बड़ा ग्लोबल संकट माना जा रहा है।

इसी क्रम में बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरोना वायरस संकट पर गैर जिम्मेदार तरीके से काम करने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन को दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया। ट्रंप ने कहा कि जब तक कोरोना वायरस के प्रसार को कम करने को लेकर तैयारी में गंभीर चूक जानकारी को छुपाने में डब्ल्यूएचओ की भूमिका की समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक यह रोक जारी रहेगी। अमेरिका हर साल डब्लूएचओ को 40 से 50 करोड़ डॉलर देता तो इस संगठन को किसी देश की ओर से दी जाने वाली सबसे बड़ी राशि है। चीन 4 करोड़ डॉलर के करीब देता है।

पीएम मोदी ने उठाया था प्रासंगिकता पर सवाल
इससे पहले प्रधानमंत्री ने सबसे पहले विश्व की सबसे ताकतवर देशों के प्लेटफार्म पर डब्लूएचओ की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया था। उन्होंने 26 मार्च को जी-20 देशों की मीटिंग में संगठन के कामकाज पर अपरोक्ष रूप से सवाल उठाया था। मीटिंग में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाओ में बड़ा बदलाव और सुधार हो जो अभी तक पिछली शताब्दी के बदलाव पर काम कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने अपरोक्ष रूप से संगठन पर कोरोना से बचाव में उतनी तेजी और वैज्ञानिक पद्धति अपनाने की सलाह दी। सूत्रों के अनुसार पीएम मोदी को बाकी सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने सपोर्ट किया था। उसके बाद एक के बाद एक कई देशों ने डब्लूएचओ के कामकाज और खासकर चीन की गलती को जानबूझकर छिपाने का आरोप लगाया। ट्रंप ने एक बार कोरोना वायरस को चीनी वायरस के नाम से बुलाया। इसके बाद अलग-थलग पड़ रहे चीन ने इस मसले पर भारत से मदद भी मांगी थी। लेकिन भारत ने इस विवाद में घुसने से इंकार किया।

यूएन काउंसिल तक उठा मुद्दा
वहीं कोरोना संकट के बीच ग्लोबल राजनीति यूएन की सुरक्षा काउंसिल तक पहुंच गयी। चीन के प्रबल प्रतिरोध के बाद इस मुद्दे पर वहां ताकतवर देशों से इस मुद्दे पर चर्चा की। इसके बाद इस मसले पर ग्लोबल राजनीति और तेज हो गयी है। जानकारों के अनुसार चीन पहली बार कोरोना संकट के बीच अपने मित्र देशों के बीच विश्वास पाने में सफल नहीं हो रहा है और अमेरिका इसका ही लाभ उठाकर उसपर और दबाव बना रहा है। इन्हीं विवादों के बीच काउंसिल ने बुधवार को इसे कम करने की कोशिश में कहा कि एकताबद्ध कदम से इस संकट से निपटने में सभी राष्ट्रों को फायदा होगा।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours