कोविड-19 के चक्कर में शहरों से रोजगार खो कर गांवों की ओर पलायन करने वाले मजदूरों को रोजगार देने के लिए आज एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) पर भरोसा जताया है। एक तरह से देखें तो आज के परिदृष्य में यह योजना प्रवासी मजदूरों को राहत देने का सबसे बड़ा जरिया के रूप में सामने आया है। हालांकि केंद्रीय ग्रामीण रोजगार मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले जुलाई में ही लोकसभा को बताया था इस योजना को सरकार ज्यादा दिन चलाने के पक्ष में नहीं है।
वित्त मंत्री का ऐलान, मनरेगा में मिलेगा रोजगारवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister )ने आज राहत पैकेज से जुड़े अपने दूसरे प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बड़ी संख्या में अपने राज्य लौटने वाले प्रवासी मजदूरों को सरकार मनरेगा (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act)
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में रोजगार दिलवाएगी। देखा जाए तो काम दिलवाना शुरू हो गया है तभी तो इस योजना में 50 फीसदी तक रजिस्ट्रेशन बढ़ गया है। वित्त मंत्री ने बताया कि कल तक 1.87 लाख ग्राम पंचायतों में 2.33 करोड़ लोगों को काम दिया गया था जो कि पिछले साल के मई की तुलना में 40 से 50 फीसदी ज्यादा रजिस्ट्रेशन है। इस योजना में कल तक 14.62 करोड़ श्रम दिवस रोजगार का सृजन हो चुका है और इस पर करीब 10000 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों ही इसके तहत मजदूरी की दर को 182 रुपये से बढ़ा कर 202 रुपये किया गया है।
राज्यों को काम देने को कहा गया हैसीतारमण ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों को इस योजना के तहत काम देने को कहा गया है। मजदूरों की घर वापसी को देखते हुए आगामी मानसून के दौरान मनरेगा के तहत कुछ विशेष काम कराने की योजना पर काम चल रहा है। मानसून में पौधरोपण, हॉर्टिकल्चर और अन्य संबंधित कार्यों में रोजगार दिया जाएगा।
ज्यादा दिनों तक चलाने के पक्ष में नहींकेंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ साथ कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी उठा रहे नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछले साल जुलाई में लोकसभा को बताया था कि सरकार मनरेगा को ज्यादा दिनों तक चलाने के पक्ष में नहीं है। उनका कहना था कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई है, लेकिन मोदी सरकार का बड़ा लक्ष्य तो सबकी गरीबी मिटाना है।
मनरेगा पर निर्भरतापिछले कुछ सप्ताहों में मनरेगा को लेकर जो घोषणाएं की गई हैं, उन्हें देखकर तो यही लगता है कि इस योजना पर केंद्र सरकार की निर्भरता तेजी से बढ़ रही है। वह इसे व्यापक ग्रामीण संकट और बेरोजगारी के एक अन्तरिम समाधान के रूप में देखती है। इससे एक फायदा तो यह भी है कि लोगों को अपने गांव में ही रोजगार मिल जाता है और इससे गुजर-बसर करने लायक मजदूरी आराम से मिल जाती है।