कोरोना, 21 दिन लॉकडाउन…क्या कहते हैं डॉक्टर

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लखनऊ
उत्तर प्रदेश में से संक्रमण के अबतक 35 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, अगर बात की जाए पूरे भारत की, तो संक्रमित लोगों की कुल संख्या 562 है। लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में 21 दिनों के का ऐलान कर दिया। अब सवाल यह कि 21 दिनों के लॉकडाउन की आवश्यकता क्या थी। इससे क्या फर्क पड़ेगा। क्यों प्राइवेट हॉस्पिटल्स को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव करने की फेहरिस्त में नहीं फिलहाल नहीं रखा गया है। इन सभी अहम सवालों के जवाब जानने के लिए
एनबीटी ऑनलाइन ने मेदांता लखनऊ के डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर से बात की। डॉ. कपूर इससे पूर्व पीजीआई के भी डायरेक्टर रह चुके हैं।

सवाल: 21 दिनों के लॉकडाउन को कोरोना वायरस से जोड़कर कैसे आसानी से समझा जा सकता है?

जवाब: रोग का एक सर्कल या कहें चक्र बनता है…कि कैसे यह एक से दो में, फिर दो से चार और चार से आठ को प्रभावित करता है। यदि इस साइकल को आपको पूरी तरह से तोड़ना है तो इसके लिए 21 दिन बेहद अहम होते हैं। इसमें कुछ ऐसा होता है कि अगर आपने तीन दिन या पांच दिन का आइसोलेशन ही किया और संक्रमित होने की अवस्था में आप किसी दूसरे के संपर्क में आए, फिर यह दूसरों को भी प्रभावित करता है। इसके बाद यह बड़े पैमाने पर पसर सकता है। ऐसी कंडिशन में इसको कंट्रोल करने में ज्यादा जेहमत उठानी पड़ेगी।

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सवाल: कोरोना के केस बढ़ रहे हैं, ज्यादातर उपचार सरकारी अस्पतालों में हो रहा है, प्राइवेट अस्पताल को क्यों इनवॉल्व नहीं किया जा रहा?

जवाब: अभी इसकी आवश्यकता ही नहीं है। हम कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले में अभी फेज-2 में हैं। जब किसी को एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस यानी सांस लेने में दिक्कत हो तब अस्पताल जाने की नौबत आती है। ज्यादातर मरीज खांसी, जुकाम वाले ठीक होकर चले आते हैं। याद कीजिए कि वक्त एच1एन1, डेंगू का भी आया, लोग प्लेटलेट्स डाउन होने पर घबरा गए और भर्ती होने के लिए पहुंच गए। कोरोना के मामलों में सरकार इसलिए भर्ती कर ले रही है क्योंकि उन्हें आइसोलेट करना पड़ रहा है। इन्हें छोड़ने पर ये लोग और लोगों में वायरस फैला देंगे।

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सवाल: प्राइवेट हॉस्पिटल्स को कोरोना के ट्रीटमेंट में जोड़ने के मद्देनजर और किन पहलुओं पर गौर करना जरूरी है?जवाब: कोरोना के इलाज के दौरान जो वर्कर्स रखे जाते हैं, उनका भी क्वारंटाइन करना पड़ता है। कोरोना के अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जैसे कि किसी को हार्ट अटैक हुआ, किसी का ऐक्सिडेंट हो गया, किसी को कैंसर निकला…तो उनका कहां ट्रीटमेंट होगा। डब्ल्यूएचओ के हिसाब से संक्रमित रोगों के इलाज अलग होते हैं। हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन लोगों को आवश्यकता है उन्हें सुविधाएं मिलें…इस तरह से प्लानिंग करके चलेंगे तो निश्चित तौर पर हम सफल होंगे।

सवाल: 21 दिन बाद कोरोना के मामलों के खत्म होने की संभावना पर आपका क्या कहना है?

जवाब: लॉकडाउन के वक्त लोगों की भूमिका पर सब टिका हुआ है। यदि निर्देशों का पालन किया गया तो निश्चित तौर पर मामलों में इजाफा नहीं होगा। अब बीच में कोई गड़बड़ कर देगा तो मुश्किल होगी न। हम सभी को कंट्रोल रखते हुए स्थितियों को सुधारना है।

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सवाल:
आदेश के बाद
लोगों ने जमाखोरी शुरू कर दी, संक्रमित व्यक्ति यदि भीड़ का हिस्सा है तो खतरा ज्यादा है, कितना बचना चाहिए?

जवाब: दरअसल, यह मानव प्रवृत्ति है। लोगों में असुरक्षा का भाव आया और वह यह सोचने लगे कि हमारे यहां कोई भूखा न मर जाए, हम न भूखे रह जाए। यह प्रवृत्ति पूरी दुनिया के लोगों में है, लोग अपना घर भरने में जुट जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा है कि लोगों को घरों में हर चीज मुहैया होगी। यह सोचना होगा कि सब्जी, फलों आदि जिस चीज की भी चीज की उपज हुई है तो वह हम लोगों तक पहुंचेगा ही। लोगों को कतई डरना नहीं चाहिए।

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