नई दिल्लीः दुनिया की सबसे बड़ी और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी, बिटक्वाइन की कीमत में भारी गिरावट आई है। इसकी कीमत 45 हजार डॉलर तक पहुंच गई है। छह सितंबर को यह 51,000 डॉलर से ऊपर चली गई थी। सिर्फ बिटक्वाइन ही नहीं, दुनिया की अन्य क्रिप्टोकरेंसी जैसे इथेरियम, बाइनेंस क्वाइन, डॉजक्वाइन, आदि में भी गिरावट आई है। इससे क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों को नुकसान हुआ।
coinmarketcap.com इंडेक्स के अनुसार, जानें दोपहर 2.05 बजे तक दुनिया की 10 सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी के रेट्स-
बिटक्वाइन – 11.08 फीसदी गिरकर 45731.22 डॉलर हुई कीमत।
इथेरियम – 11.57 फीसदी गिरकर 3289.08 डॉलर हुई कीमत।
कार्डानो – 10.89 फीसदी गिरकर 2.31 डॉलर हुई कीमत।
टेथर – 0.02 फीसदी गिरकर 1.00 डॉलर हुई कीमत।
बाइनेंस क्वाइन – 17.30 फीसदी गिरकर 397.65 डॉलर हुई कीमत।
एक्सआरपी – 18.74 फीसदी गिरकर 1.06 डॉलर हुई कीमत।
सोलाना – 14.40 फीसदी गिरकर 158.011 डॉलर हुई कीमत।
डॉजक्वाइन – 15.58 फीसदी गिरकर 0.241 डॉलर हुई कीमत।
यूएसडी क्वाइन – 0.01 फीसदी गिरकर 1.00 डॉलर हुई कीमत।
पोल्का डॉट – 20.92 फीसदी गिरकर 26.57 डॉलर हुई कीमत।
बिटक्वाइन की कीमत जून में 29,000 डॉलर पर आ गई थी, जो छह महिने का निचला स्तर था। अब यह इस स्तर से काफी चढ़ चुकी है। हालांकि बिटक्वाइन अभी भी अपनी रिकॉर्ड कीमत से काफी दूर है, जो लगभग 65000 डॉलर है। बिटक्वाइन ने अप्रैल में यह स्तर छुआ था। विशेषज्ञों का कहना है कि बिटक्वाइन की कीमत में आगे भी अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है।
भारतीय निवेशक सतर्क
भारत में क्रिप्टो के निवेशक सावधानी बरत रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्र सरकार जल्द ही क्रिप्टोकरेंसी पर बड़ा कदम उठा सकती है। सरकार इसे असेट या कमोडिटी की कैटेगरी में डाल सकती है। एक सूत्र ने कहा कि क्रिप्टो एसेट्स को उनकी तकनीक या एंड यूज के आधार पर परिभाषित किया जाएगा। फिलहाल सरकार के सामने यह दिक्कत है कि क्रिप्टोकरेंसी को क्या मानकर इस पर टैक्स लगाया जाए। इसे करेंसी, कमोडिटी या इक्विटी शेयर जैसा एसेट माना जाए या सर्विस।
हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि डिजिटल मुद्रा से जुड़े विधेयक को लेकर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार है। प्रस्तावित विधेयक मंत्रिमंडल के सामने रख दिया गया है। आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित क्रिप्टोकरेंसी पर अंतर-मंत्रालयी समिति ने डिजिटल करेंसी से जुड़े मुद्दों का अध्ययन करने और विशिष्ट कार्यों का प्रस्ताव पेश करने के लिए अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है।
क्रिप्टो कोई मुद्रा नहीं, इसे अलग संपत्ति की तरह माना जाए
मालूम हो कि आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने कहा कि क्रिप्टो कोई मुद्रा नहीं है बल्कि इसे एक अलग संपत्ति वर्ग की तरह माना जाना चाहिए। इसका नियमन भी उसी रूप में किया जाना चाहिए। इससे दुनियाभर की सरकारों को आभासी मुद्राओं से जुड़ी अवैध गतिविधियों से प्रभावी ढंग से निपटने में मदद मिलेगी। एक कार्यक्रम में आर गांधी ने कहा कि वर्षों की बहस के बाद लोग समझ गए हैं कि क्रिप्टो मुद्रा नहीं हो सकती है क्योंकि यह कानूनी रूप से वैध नहीं है। इसलिए कोई भी किसी अन्य व्यक्ति को क्रिप्टो स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।