सुकमा: जहां एक और होली के त्यौहार को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है ठीक दुसरी और होली के बाद शीतला माता की खास पूजा की जाती है. हिंदू व्रतों में ये केवल एक ही ऐसा व्रत हैं जिसमें बासी खाना खाया जाता है. राजस्थानी समाज की महिलाओं ने शीतला माता के मंदिर में पूजा-अर्चना की और क्षेत्र की खुशहाली और शांति की कामना की.
आज जिला मुख्यालय स्थित राजवाड़ा में शीतला माता मंदिर में सुबह-सुबह राजस्थानी समाज की महिलाओं ने माता की पूजा-अर्चना की. क्षेत्र में खुशहाली हो और शांति स्थापति हो इसके लिए भगवान से प्रार्थना की. दरअसल चैत्र माह की कृष्ण पक्ष को शीतला माता की पूजा की जाती है. इस पर्व को बसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक मां शीतला की आराधना कई तरह के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती है.
यह है मान्यता
वैसे हिन्दू धर्म में हर त्यौहार के पीछे कई मान्यताऐं होती है ठीक ऐसे ही इस त्यौहार के पीछे ऐसी मान्यता है माता शीतला का व्रत रखने से तमाम तरह की बीमारियां दूर हो जाती है. साथ ही व्यक्ति पूरे साल चर्म रोग तथा चेचक और कई बीमारियों से दूर रहता है.देवी शीतला की पूजा से पर्यावरण को स्वच्छ व सुरक्षित रखने की प्रेरणा प्राप्त होती है तथा ऋतु परिवर्तन होने के संकेत मौसम में कई प्रकार के बदलाव लाते हैं और इन बदलावों से बचने के लिए साफ सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होता है. शीतला माता स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं और इसी संदर्भ में शीतला माता की पूजा से हमें स्वच्छता की प्रेरणा मिलती है
नहीं जलेगा घरों में चूल्हा, खाऐंगे ठण्ड़ा
वही आज के दिन सभी राजस्थानी समाज के घरों में चूल्हा नहीं जलेगा यहां सिर्फ ठंण्डा का ही भोजन होगा। सुबह से ही एक दिन पूर्व में ही लोग खाने की सामग्री बनाकर रख दी गई थी। दुसरे दिन यानि आज सुबह घरों में पानी की हण्ड़ी के समक्ष पूजा-अर्चना करने के बाद शीतला माता के मंदिर में पूजा होने के बाद घरों में ठंण्ड़ा खाने की परंम्परा है। जो सदियों से चलती आ रही है। आज भी राजस्थानी समाज के घरों में चूल्हे नहीं जलेेंगे।