मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट खेमे की बगावत के बाद भी पिछले एक महीने में कभी ऐसा नहीं जताया कि उनकी सरकार को कोई खतरा है। वो हमेशा पूर्ण बहुमत का दावा करते रहे। यहां तक की अपने बयानों में विधानसभा की सभी 200 सदस्यों के समर्थन की बात कहते रहे। उनका यह विश्वास हमेशा से विरोधी खेमे का मनोबल गिराने वाला ही साबित हुआ।
जयपुर के फेयरमोटं होटल की बात हो या जैसलमेर के सूर्यगढ़ पैलेस की, गहलोत ने अपने खेमे के विधायकों को कहीं भी ढील नहीं दी। रक्षाबंधन से पहले जब विधायकों के परिजन जयपुर के होटल में पहुंचने लगे तो दूरी बनाए रखने और सैंधमारी का खतरा टालने के लिए जैसलमेर का रुख किया। वहां भी हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर बयानों के बीच अपने खेमे के विधायकों को विश्वास में लिए रखा। हालांकि इस दौरान सूर्यगढ़ पैलेस होटल में जैमर लगाने की बातें भी सामने आईं। कुल मिलाकर अपना विधायकों पर कड़ी नजर और रोके रखने की हर संभव कोशिश जारी रखी।
उधर, बगावती खेमे को चित करने के लिए भी कोई कसर नहीं छोड़ी। पहले एसीबी, एसओजी का डर दिखाया, फिर कोर्ट में पैरवी की गई। ऑडियो टेप जारी किये गए तो कभी वॉयस सेंपल के जरिए बागी विधायकों पर दबाव बनाया। यही नहीं विधायक दल की एक के बाद एक बैठकें बुलाई गई और उनमें बगावत करने वालों पर कार्रवाई की सहमति के जरिए जमकर दबाव बनाने की कोशिशें की गई।
इसी बीच एक दिन पहले ही बीएसपी विधायकों के मामले में कोर्ट के फैसले से पहले विधायक दल की बैठक में पूर्ण बहुमत का दावा किया गया। बीजेपी के विधायकों के भी सम्पर्क में होने की बातें सामने आईं। ऐसे में यदि फ्लोर टेस्ट होता तो सरकार को कोई खतरा नहीं होने की बात को ठोक-बजाकर बताया गया।
इन तमाम दांव-पेच के आगे सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायक की सारी रणनीति फेल हो गई। सचिन पायलट को मजबूरन गांधी परिवार से मिलने का समय मांगना पड़ा। सोमवार को उधर और से पायलट की मुलाकात हो रही थी और इधर, बागी विधायक भंवरलाल शर्मा जयपुर पहुंच गए। शर्मा ने गिल-शिकवे दूर होने के दावों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात भी कर ली। अब अब पायलट और अन्य विधायकों का जयपुर लौटना है। हालांकि पायलट की वापसी के पीछे कुछ शर्तों का भी जिक्र किया जा रहा है लेकिन फिलहाल इनसे पर्दा नहीं उठा है।
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