न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा समिति सुधारों के आधार पर तैयार नए बीसीसीआई संविधान में कोई भी व्यक्ति जो राज्य संघ के साथ बीसीसीआई का लगातार छह साल तक पदाधिकारी रहा हो, उसके लिए तीन साल तक विश्राम अवधि में जाना अनिवार्य होगा। जहां तक गांगुली का मामला है तो वह पूर्व में बंगाल क्रिकेट के संघ के संयुक्त सचिव और बाद में अध्यक्ष रहे। उन्होंने अक्टूबर में बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला और इस तरह से उनका कार्यकाल केवल नौ महीने का रहेगा।
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यही स्थिति शाह की है जो पांच साल तक गुजरात क्रिकेट संघ के सचिव रहे और उन्हें भी अनिवार्य विश्राम अवधि में जाना होगा। वर्मा से पूछा गया कि वह एक अन्य याचिका क्यों दायर करना चाहते हैं, उन्होंने कहा, ‘मेरा एकमात्र इरादा यह सुनिश्चित करना है कि बीसीसीआई पारदर्शी तरीके से काम करता रहे। अगर सौरभ जैसा व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकता तो फिर इसका उपयोग क्या है।’
उन्होंने कहा, ‘प्रशासकों की समिति (सीओए) ने लगभग तीन साल तक बीसीसीआई को गलत तरीके से चलाया। पदभार संभालने वाले किसी भी व्यक्ति को व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के लिए समय चाहिए। गांगुली और उनकी टीम को हर हाल में समय दिया जाना चाहिए।’
वर्मा ने कहा, ‘अभी वर्तमान परिस्थिति में देश कोविड-19 महामारी के कारण पूरी तरह से बंद है। अगर इससे दो महीने तक कोई गतिविधि नहीं हो पाती है तो यह गांगुली और शाह दोनों के साथ अनुचित होगा कि उन्हें व्यवस्था सुधारने के लिए सही मौका नहीं दिया। यही बात मेरी याचिका में होगी।’
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