चंडीगढ़: पंजाब-हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ और इससे सटे पंचकूला और मोहाली में पर हाईकोर्ट ने जबर्दस्त प्रहार किया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ में गाड़ियों पर वीआईपी पदों के स्टिकर हटाने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर स्टिकर नहीं हटाया जाता तो तगड़ा चालान काटा जाएगा। चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली के प्रशासन को 72 घंटे की मोहलत दी गई है। अगर इसके बाद भी गाड़ियों पर किसी तरह के स्टिकर या प्लेट नजर आई तो ट्रैफिक कार्रवाई करेगी। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पार्किंग को लेकर सरकारी और प्राइवेट गाड़ियों पर स्टिकर पर कोई पाबंदी नहीं होगी।
हाईकोर्ट के आदेश में अहम बात यह है कि गाड़ी पर सेना, डॉक्टर, प्रेस, पुलिस, डीसी, मेयर, , चेयरमैन व अन्य कोई वीआईपी पद लिखने पर पूरी तरह प्रतिबंध होगा। एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड को जरूर छूट मिलेगी। हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस अमोल रतन सिंह की बेंच ने इस तरह के स्टिकर को मोटर वीइकल ऐक्ट का उल्लंघन माना है। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिए।
जज ने स्टाफ से कहा, मेरी गाड़ी से भी हटाओ स्टिकर
कोर्ट का कहना है कि सड़क पर हर व्यक्ति समान है। अपने पद की स्टिकर और प्लेट लगाना दरअसल धौंस या रौब जमाने का जरिया बन गया है। सुनवाई के दौरान जस्टिस राजीव शर्मा ने कहा कि लोग अपनी गाड़ी पर विधायक, चेयरमैन, पुलिस, सेना और प्रेस लिखवा रहे हैं। कुछ मामलों में लोगों ने हद कर दी है। कुछ लोग अपनी गाड़ी पर विधायक का पड़ोसी और पूर्व विधायक की पट्टी लगा रहे हैं। जस्टिस शर्मा ने कहा कि स्टिकर उतारने की शुरुआत उनकी गाड़ी से होनी चाहिए। उन्होंने तुरंत अपने स्टाफ को इसके आदेश भी दे दिए।
चंडीगढ़ में वीआईपी की भरमार
चंडीगढ़ दो राज्यों, हरियाणा और पंजाब की राजधानी भी है। यहां केंद्र के भी कई रीजनल ऑफिस हैं। चंडीगढ़ प्रशासन और उसका तंत्र अलग से है। शहर में वीआईपी की भरमार है। हरियाणा और पंजाब से भी राजनीतिक हस्तियों का चंडीगढ़ में आना-जाना लगा रहता है। इस वीआईपी कल्चर का सबसे ज्यादा दबाव ट्रैफिक पुलिस पर रहता है। वीआईपी मूवमेंट पर जिला प्रशासन और पुलिस तंत्र अलग से ड्यूटी पर मुस्तैद रहता है।
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