‘वुहान स्प्रिट’ के विपरीत भारत और चीन की सेना के बीच शनिवार को समुद्र तल से करीब 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सिक्किम के नाकु ला सेक्टर में हिंसक झड़प हुई। बताया जा रहा है कि इस झड़प में 4 भारतीय सैनिक और 7 चीनी सैनिक घायल हो गए। इस विवाद में 150 सैनिक शामिल थे। दोनों देशों के बीच यह झड़प करीब 3 साल के बाद हुई है। इस बीच विशेषज्ञ चीन के साथ सिक्किम में झड़प को भारत के गिलगिट-बाल्टिस्तान को लेकर उठाए गए कदम से जोड़कर देख रहे हैं।
दरअसल, चीन के राष्ट्रपति के शी चिनफिंग का सपना है कि चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए। इस कॉरिडोर के बनने पर चीन सीधे अपने माल को जमीन के रास्ते ग्वादर पोर्ट तक पहुंचा देगा। यहां से चीनी माल सीधे अफ्रीका और दुनिया के अन्य हिस्सों में भेजा जाएगा। इससे चीन को दक्षिण पूर्व एशिया के देशों का चक्कर लगाते हुए माल नहीं भेजना होगा।
गिलगिट-बाल्टिस्तान से पूरा होगा चीनी राष्ट्रपति का सपना
चीन और पाकिस्तान का यह आर्थिक कॉरिडोर पाक अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके से होकर जाता है। भारत लगातार चीन से इस कॉरिडोर को बनाने पर आपत्ति जताता रहा है। चीन लगातार भारत की चिंताओं को अनेदखी करता आ रहा है। इस बीच मंगलवार को भारत ने अपने एक कदम से चीन और पाकिस्तान को साफ-साफ समझा दिया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान उसका अभिन्न अंग है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जम्मू-कश्मीर सब-डिविजन को अब ‘जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद’ कहना शुरू कर दिया है। गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद, दोनों पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। मंगलवार को IMD ने नॉर्थवेस्ट इंडिया के लिए जो अनुमान जारी किए, उसमें गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद को भी शामिल किया गया।
भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान बौखला गया। पाकिस्तान ने इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) प्रस्तावों का उल्लंघन बताया। पाकिस्तान ने इसे भारत का गैरजिम्मेदाराना कदम बताते हुए गिलगित और बाल्टिस्तान के दावे को सिरे से नकार दिया। दरअसल, भारत ने पहले ही दो टूक कह दिया है कि पाकिस्तान उन इलाकों पर अपना हक ना जताए, जो उसने अवैध तरीकों से और जबरन कब्जा कर लिया है।
‘गिलगित-बाल्टिस्तान का चीनी जवाब है सिक्किम’
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ कमर आगा कहते हैं कि चीन की सेना ने करीब 3 साल बाद सिक्किम में यह झड़प बहुत सोच-समझकर किया है। आगा ने कहा, ‘चीन के साथ सिक्किम में यह झड़प भारत के गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर उठाए गए ताजा कदम का जवाब है। चीन किसी भी कीमत पर अपने आर्थिक कॉरिडोर को पूरा करना चाहता है। हालत यह है कि कोरोना संकट में फंसे पाकिस्तान में इस महामारी के बाद भी बहुत तेजी से चीनी कॉरिडोर पर काम चल रहा है।’
आगा ने कहा, ‘अपने कॉरिडोर पर संकट आता देख चीन ने सिक्किम में उकसावे की कार्रवाई की है। चीन सिक्किम को अपना क्षेत्र बताता है और दोनों देशों के बीच लंबे समय से इसको लेकर विवाद है। चीन ने भारत को यह संदेश देने की कोशिश की है कि पीओके पर हमारा जवाब सिक्किम है।’ आगा ने कहा कि इस झड़प की एक और वजह चीन का आंतरिक संकट है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट की वजह से चीन की हालत खराब है। अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर है।
उन्होंने कहा कि चीन माल तो बना रहा है लेकिन दुनिया में उसके खरीददार नहीं हैं। इससे चीन की अर्थव्यस्था आने वाले समय में आधे से भी कम रह जाएगी। ऐसे में चीन अपने देश में राष्ट्रवाद को बढ़ावा दे रहा है और इस तरह से सीमा पर तनाव बढ़ाकर चीन जनता को हमले का डर दिखा रहा है। इससे जनता गरीबी और नौकरियों पर संकट के मुद्दे पर ध्यान नहीं देगी।’
सिक्किम में सैन्य जमावड़ा कर रहा है चीन
इससे पहले साल 2017 में दोनों देशों के बीच सिक्किम क्षेत्र में भीषण तनाव देखने को मिला था। तब यह इतना बढ़ा था कि भारत के शीर्ष सैन्य अफसरों ने कई दिनों तक इलाके में कैंपिंग की। चीनी सेना इस इलाके में सड़क निर्माण करने की कोशिश कर रही है। चीन पहले ही सामरिक लिहाज से बेहद अहम माने जाने वाले चुंबी घाटी इलाके में सड़क बना चुका है, जिसे वह और विस्तार देने की कोशिश कर रहा है।
यह सड़क भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर या कथित ‘चिकन नेक’ इलाके से महज पांच किमी दूर है। यह सिलिगुड़ी कॉरिडोर ही भारत को नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से जोड़ता है। इसी कारण से भारतीय सैनिकों और चीनी सेना के बीच अक्सर टकराव होता रहता है। साल 2017 में भी टकराव की यही वजह थी जब पीएलए के जवानों को विवादित इलाके में निर्माण कार्य करने से भारतीय सेना ने रोक दिया था। इसके बाद चीन ने इलाके में विशाल सैन्य परिसर बना लिया है। यह सैन्य परिसर डोकलाम के अंदर बनाया गया है।
वुहान में मिले थे पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति
यह सैन्य परिसर भूटान और भारत की सीमा के पास है। चीन ने यहां पर हेलीकॉप्टर, टैंक और मिसाइलें तैनात की हैं। इससे पहले डोकलाम विवाद के बाद चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वुहान में अनौपचारिक बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने यह तय किया था कि विवादों का आपसी बातचीत से हल किया जाएगा। ताजा झड़प वुहान स्प्रिट के पूरी तरह से खिलाफ है।