बिलासपुर: ईंट भट्ठा में काम करने गुजरात गए विरेन्द्र का लाॅकडाउन में बुरा हाल था। जो पैसे उसने वहां कमाये थे, वह धीरे-धीरे खत्म हो गए थे। गुजरात से अपने गांव आने के लिये न कोई साधन था और न ही पैसे थे। उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी। क्योंकि उसके साथ-साथ मां, बहन, भाई और उसके बच्चे भी इस परेशानी से गुजर रहे थे। तभी छत्तीसगढ़ सरकार ने देवदूत बनकर उनकी मदद की और उन्हें घर पहुंचाने के लिये ट्रेन की व्यवस्था की।
यह कहना है मस्तूरी विकासखंड के ग्राम डगनिया के विरेन्द्र पाटले का। जो आज अहमदाबाद से बिलासपुर स्पेशल श्रमिक ट्रेन से बिलासपुर पहुंचा। अपनी जमीन पर कदम रखते ही उसकी सारी चिंता दूर हो गई है। विरेन्द्र ने कहा कि यदि सरकार उन्हें नही लाती तो उनका वापस लौटना संभव नहीं था।
जांजगीर जिले के ग्राम हेड़सपुर के श्रमिक जागेश्वर खरे भी अपने परिवारवालों के साथ 6 माह पूर्व गुजरात गया था। गांव में थोड़ी सी जमीन है। जिसमें उसका परिवार खेती करता है। खेती से गुजारा नहीं होता इसलिये वह विगत 10 वर्षों से ईंट भट्ठे में काम करने हर वर्ष चार महीने के लिये गुजरात जाता है। वह भी विगत एक माह से गुजरात में खाली बैठा था और घर वापसी का रास्ता ढूंढ रहा था। छत्तीसगढ़ सरकार से समय पर मदद मिली। अब वह सीजन में खेती किसानी भी कर पाएगा।
इसी तरह जोगेश्वर खरे, अशोक मोहले, चैतराम, रवि सोनवानी, चित्रपाल आदि श्रमिक भी बहुत खुश हैं और वे छत्तीसगढ़ सरकार के आभारी हैं। जिसने सही समय पर उनके लिये ट्रेन की व्यवस्था की और घर वापसी की राह आसान की।
घर वापस आने के लिये पैसे नहीं थे, सरकार ने देवदूत बनकर की मदद
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