चीन ने मान लिया है कि गलवान घाटी में में हुई हिंसक झड़प में उसके भी कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) और पीएलए बटालियन के एक अन्य अधिकारी की मौत हुई थी। हालांकि चीन झड़प में मारे गए अपने सैनिकों की संख्या नहीं बताई है। उसका कहना है कि संख्या बताने से दोनों देशों में तनाव बढ़ सकता है और ऐसा वह नहीं चाहता है। 15 जून को चीन और भारत के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 43 सैनिकों के हताहत होने की बात सामने आई थी।
वहीं, ईस्टर्न लद्दाख में चीन से लगी सीमा पर तनाव खत्म करने के लिए सोमवार को सीमा के दोनों तरफ मीटिंगों का दौर चलता रहा। चीन की तरफ बॉर्डर पर्सनेल मीटिंग पॉइंट मॉल्डो में भारत और चीन की सेना के कोर कमांडर मिले। बैठक चीन की तरफ से बुलाई गई थी। सोमवार सुबह 11.30 बजे शुरू हुई मीटिंग रात तक जारी रही। इधर, दिल्ली में भी आर्मी के टॉप कमांडरों की बैठक हुई, जिसमें चीन और पाकिस्तान बॉर्डर के हालात पर चर्चा की गई।
गलवान इलाके में तनाव बरकरार
इस बीच खबर है कि लद्दाख के गलवान इलाके में तनाव बरकरार है। फिलहाल दोनों तरफ के सैनिक अपनी-अपनी साइड हैं। सूत्रों के मुताबिक, दोनों तरफ एक हजार से ज्यादा सैनिक तैनात हैं। माना जा रहा है कि गलवान एरिया और हॉट स्प्रिंग एरिया में तनाव कम हो सकता है, लेकिन अभी भी सबसे बड़ा मसला पैंगोंग त्सो एरिया बना हुआ है। यहां चीन तोप और टैंकों की तैनाती बढ़ा रहा है। तनाव के बीच आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे इसी हफ्ते लद्दाख जा सकते हैं। वह लद्दाख की मौजूदा स्थिति की जानकारी लेंगे। आर्मी चीफ का दौरा वहां तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए भी होगा। पिछले हफ्ते एयरफोर्स चीफ आरकेएस भदौरिया भी लेह एयरबेस गए थे। (इनपुट : एजेंसियां)