चीन बॉर्डर पर हिमवीरों की 40 कंपनियां तैनात

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नई दिल्ली
भारत और चीन (India China Conflict) के बीच Line Of Actual Control में अभी भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में दोनों देश अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने में लगे हुए हैं। भारत लगातार सीमा पर लगातार जवानों की संख्या भी बढ़ाता जा रहा है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प के मद्देनजर आईटीबीपी ने चीन से लगी LAC के पास विभिन्न स्थानों पर 40 कंपनियों को तैनात करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी दी।

वायुसेना ने भी तैयारी पूरी कीसीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाने और अतिरिक्त गश्त के नए निर्देश के तहत भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) एसयूवी, घाटी में चलने वाले वाहनों, स्नो स्कूटर और ट्रकों जैसे अन्य संसाधनों को अग्रिम स्थानों के लिए भेज रही है। इसके साथ ही आर्मी चीफ ने आज सीमा का दौरा किया और जवानों का हौंसला बढ़ाया। भारतीय वायु सेना भी पूरी तरह से तैयार है। संघर्ष के बाद भारतीय वायु सेना भी लेह और श्रीनगर सहित कई मुख्य हवाई अड्डों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमान और अपाचे हेलीकॉप्टर तैनात कर चुकी है।

सरहद में उतरे भारतीय जवानसूत्रों ने बताया कि पर्वतों पर लड़ाई के लिए प्रशिक्षित करीब 4,000 जवानों की क्षमता वाली सभी इकाइयों को देश के विभिन्न इलाके में आंतरिक सुरक्षा की तैनाती से हटाया जा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आईटीबीपी की करीब 40 कंपनियों को हटाया गया है और लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश समेत विभिन्न क्षेत्रों में एलएसी के पास अलग-अलग स्थानों पर उन्हें एकत्र किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बल की अग्रिम इकाइयों को इन नयी टुकड़ियों के लिए पृथक-वास केंद्र तैयार करने को कहा गया है क्योंकि वे मुख्य भू-भाग से आ रहे हैं और कोरोना वायरस से संक्रमित होने के खतरे को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता।

आईटीबीपी (ITBP) की 15 कंपनियों को वापस बुलायाउन्होंने बताया कि दो सप्ताह के क्वारंटीन के दौरान इन सैनिकों के पास ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती के लिए तैयार होने का अवसर होगा, जहां पर तापमान शून्य से बहुत नीचे होता है और ऑक्सीजन का स्तर कम होता है। कंपनियों और बटालियन का कमान संभालने वाले कुछ अधिकारियों को भी बल के दो नए संचालन कमान- चंडीगढ़ में पश्चिमी मुख्यालय और गुवाहाटी में पूर्वी मुख्यालय में तैनात किया जा रहा है। एक महानिरीक्षक (आईजी) को हाल में चंडीगढ़ में कमान का प्रभार दिया गया जबकि गुवाहाटी में कमान की जिम्मेदारी दिल्ली के एक आईजी देख रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि हाल में जम्मू समेत देश के विभिन्न स्थानों से आईटीबीपी (ITBP) की 15 कंपनियों को वापस बुलाया गया तथा दिल्ली, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़ तथा कुछ अन्य स्थानों से उन्हें भेजा जा रहा है । इन 40 कंपनियों के अलावा संभावना है कि ऐसी 20 और कंपनियों को आगामी कुछ समय में भेजा जाएगा ताकि लद्दाख में काराकोरम दर्रा से लेकर अरूणाचल प्रदेश में जाचेप ला तक 180 सीमा चौकी और 50 अस्थायी बेस पर बल की ‘अधिकतम’ मौजूदगी हो सके ।

आर्मी चीफ का लद्दाख दौरासेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने मंगलवार को पूर्वी लद्दाख में सेना की तैयारियों का जायजा लिया। वह क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं, जहां पिछले हफ्ते चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के साथ हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। सेना के अधिकारियों ने बताया कि लेह पहुंचने के तुरंत बाद जनरल नरवणे ने सेना के अस्पताल का दौरा किया जहां 15 जून को गलवान घाटी में घायल हुए 18 सैनिकों का उपचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि सेना प्रमुख ने लगभग सभी घायल सैनिकों से बातचीत की और बहादुरी के लिए उनकी प्रशंसा की। एक संकरी घाटी में समझौते का उल्लंघन करते हुए चीन की सेना द्वारा निगरानी पोस्ट बनाए जाने को लेकर गलवान घाटी में संघर्ष हुआ जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए।

लद्दाख से सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल से भी बातचीतअस्पताल का दौरा करने के बाद नरवणे ने नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी, 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्षेत्र में संपूर्ण सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि समझा जाता है कि उन्होंने चीन की तरफ से किसी भी तरह के दु:साहस से निपटने के लिए उन्हें सतर्क रहने के निर्देश दिए। क्षेत्र के दो दिवसीय दौरे में सेना प्रमुख कई अग्रिम मोर्चे का भी दौरा करेंगे। जनरल नरवणे ने लद्दाख से सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल से भी बातचीत की। पिछले हफ्ते एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने लद्दाख और श्रीनगर हवाई अड्डों का दौरा किया था और क्षेत्र में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए भारतीय वायुसेना की तैयारियों की समीक्षा की थी। लेह रवाना होने से पहले जनरल नरवणे ने सेना के शीर्ष कमांडरों के दो दिवसीय सम्मेलन के अंतिम सत्र में हिस्सा लिया।

बॉर्डर पर शांति की पहल भी साथ-साथकमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। लेह में जनरल नरवणे, चीन से लगी संवेदनशील सीमा की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली 14वीं कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह से भी विस्तृत बातचीत करने वाले हैं। सोमवार को लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने चीन के साथ तनाव कम करने के लिए तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर मेजर जनरल ल्यू लिन के साथ 11 घंटे बैठक की थी। बैठक में दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में संघर्ष वाले सभी स्थानों से ‘परस्पर सहमति’ के आधार पर ‘पीछे हटने’ पर सहमत हुए।

3500 किलोमीटर लंबी सीमा सीललेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहली वार्ता छह जून को हुई थी जिस दौरान दोनों पक्ष गलवान घाटी सहित संघर्ष वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर सहमत हुए थे। बहरहाल, गलवान में 15 जून को संघर्ष होने के बाद सीमा पर स्थिति और खराब हो गई और दोनों पक्षों ने 3500 किलोमीटर लंबी सीमा के पास अधिकतर स्थानों पर तैनाती बढ़ा दी। सरकार ने रविवार को सशस्त्र बलों को पूरी छूट दे दी कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास चीनी सैनिकों के किसी भी दु:साहस का करारा जवाब दें। सेना पिछले एक हफ्ते में सीमा के पास हजारों अतिरिक्त सैनिकों को भेज चुकी है।

हिंसक झड़प होने के बाद से स्थिति खराबपूर्वी लद्दाख में पांच और छह मई को चीन और भारत के 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प होने के बाद से स्थिति खराब हो गई। उत्तर सिक्किम में नौ मई को इसी तरह की घटना के बाद पैंगोंग सो में भी हिंसक झड़प की घटना सामने आई। संघर्ष से पहले दोनों पक्ष इस बात पर सहमति जताते रहे थे कि सीमा मुद्दे का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है।

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