रायपुर: दक्षिण पश्चिम मानसून ने अपनी रफ्तार तेज कर दी है, भारतीय मौसम विभाग ने अपने ताजा अपडेट में कहा है कि मानसून चेन्नई, चित्तूर, तुमुकुरु, शिमोगा, करवार को पार कर गया है और वो अगले 24 घंटों के अंदर ओडिशा, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में एक साथ दस्तक दे सकता है, जिसकी वजह से इन राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी कर दिया है, मानसून काफी शक्तिशाली है इसलिए इन राज्यों में भारी बारिश की आशंका व्यक्त की गई है।
मानसून केरल-कर्नाटक और तमिलनाडु में फिलहाल सक्रिय है, जिसकी वजह से इन राज्यों में बारिश का सिलसिला जारी है, तो वहीं देश के कई राज्यों मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली-एनसीआर के अलावा अन्य राज्यों में भी प्री-मानसून एक्टिविटीज शुरू हो गई हैं और इसी वजह से देश के कई राज्यों में कल से बारिश हो रही है।
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ रहे निम्न दबाव के प्रभाव के कारण आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तटीय ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में बादलों का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. आसमान में काले बादल छाए हुए हैं, यहां अच्छी बारिश की संभावना जताई जा रही है, उम्मीद है कि अगले 12 घंटों में मानसून महाराष्ट्र के दक्षिणी कोंकण-गोवा क्षेत्र और दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र में प्रवेश कर जाएगा।
बंगाल की खाड़ी में दबाव बनने से पहले ही ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना ऑरेंज अलर्ट पर हैं तो वहीं मानसून के असर के चलते अगले 24 घंटों के दौरान देश के करीब 10 राज्यों में आंधी-तूफान की आशंका है, तो वहीं दिल्ली-एनसीआर, यूपी, बिहार और झारखंड के कई जिलों में आज भारी बारिश के आसार हैं।
मानसून मूलतः हिंद महासागर एवं अरब सागर की ओर से भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर आनी वाली हवाओं को कहते हैं जो भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि में भारी वर्षा करातीं हैं। ये ऐसी मौसमी पवन होती हैं, जो दक्षिणी एशिया क्षेत्र में जून से सितंबर तक, प्रायः चार माह सक्रिय रहती है। इस शब्द का प्रथम प्रयोग ब्रिटिश भारत में (वर्तमान भारत, पाकिस्तान एवं बांग्लादेश) एवं पड़ोसी देशों के संदर्भ में किया गया था। ये बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से चलने वाली बड़ी मौसमी हवाओं के लिये प्रयोग हुआ था, जो दक्षिण-पश्चिम से चलकर इस क्षेत्र में भारी वर्षाएं लाती थीं। हाइड्रोलोजी में मानसून का व्यापक अर्थ है- कोई भी ऐसी पवन जो किसी क्षेत्र में किसी ऋतु-विशेष में ही अधिकांश वर्षा कराती है।