'छपाक' के बाद अब 'थप्पड़': तापसी पन्नू निशाने पर, सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा #BoycottThappad

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की फिल्म ‘थप्पड़’ इस वीक रिलीज हो रही है। फिल्म की क्रिटिक्स की जमकर तारीफें मिली हैं और शानदार रेटिंग दी गई है। वैसे, सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इस फिल्म का विरोध भी कर रहे हैं। यहां बता दें कि इस शुक्रवार को यह फिल्म रिलीज होने वाली है और ट्विटर पर कुछ लोगों ने फिल्म के खिलाफ आवाज उठाई है। बताया जा रहा है कि तापसी पन्नू के ‘ऐंटी सीएए प्रोटेस्ट्स’ में हिस्सा लेने के कारण ही कुछ लोग उनकी इस फिल्म का विरोध कर रहे हैं। याद दिला दें कि की फिल्म ‘छपाक’ का भी इसी तरह विरोध हुआ था।

दीपिका ने जेएनयू पहुंचकर सीएए के खिलाफ वहां छात्रों के प्रोटेस्ट का समर्थन किया था। इसके बाद दीपिका की फिल्म ‘छपाक’ को लेकर विरोध शुरू हुआ था। बाद में इसका असर भी दिखा। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फिल्म खास नहीं कर पाई और फिल्म के विरोध को इसके पीछे बड़ी वजह माना गया।

दीपिका की तरह अब तापसी का विरोध
दीपिका के बाद अब सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने तापसी पन्नू को निशाने पर हैं। सोशल मीडिया पर एक बार फिर ‘छपाक’ की ही तरह ‘थप्पड़’ का विरोध शुरू हो गया है। विरोध करने वालों का तर्क एक बार फिर वही है, जो दीपिका के लिए दिया गया था। तापसी की एक तस्वीरें भी शेयर की जा रही हैं, जिसमें वह प्रोटेस्ट का हिस्सा हैं।

ऐंटी सीएए प्रोटेस्ट्स के कारण विरोध
ऐंटी सीएए प्रोटेस्ट्स में शामिल हुईं तापसी की तस्वीरें शेयर करके फिल्म का विरोध किया जा रहा है। ट्विटर पर कई लोगों ने थप्पड़ के पोस्टर को शेयर करते हुए लिखा है कि ‘ऐंटी सीएए प्रोटेस्ट्स’ में हिस्सा लेने वालों के हम साथ नहीं है। ऐसे स्टार्स की फिल्मों का हम विरोध करते रहेंगे।

मेकर्स के लिए चिंता की वजह!
इस फिल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा हैं। ऐसे में जबकि यह फिल्म शुक्रवार को रिलीज होने जा रही है, सोशल मीडिया पर इसका विरोध होना, निश्चित रूप से मेकर्स के लिए चिंता की बड़ी वजह हो सकती है। हालांकि यह विरोध किस स्तर का रहता है और इसका कितना असर फिल्म के कारोबार पर पड़ेगा यह तो फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा।

बस एक थप्पड़ ही तो था
बस एक थप्पड़ ही तो था। क्या करूं? हो गया ना। ज्यादा जरूरी सवाल है ये है कि ऐसा हुआ क्यों? बस इसी क्यों का जवाब तलाशती है अनुभव सिन्हा की ये फिल्म थप्पड़। अनुभव सिन्हा और मृणमयी लागू ने पूरी फिल्म को ऐसे लिखा है जिसमें हमारे समाज की कड़वी सचाई छह अलग अलग किरदारों के जरिए सामने आती है। फिल्म का अंत उन सभी किरदारों के अच्छे और बुरे पहलू, मन में चलने वाली उलझनें, द्वंद्व और अंतरविरोधों को न सिर्फ सबके सामने रखती है बल्कि पूरे समाज को एक-एक ऑप्शन भी देकर जाती है, ताकि लाइफ जीने लायक बन सके।

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