बालोद: आज पूरा देश ऐसे दो बड़े दुश्मनों लड़ाई लड़ रही है जब एक तरफ कोरोना जैसे महामारी लगातार देश को अपने संक्रमण के चपेट में ले रही है तो दुसरीं तरफ चीन पाक अपने नापाक इरादों के साथ देश की शरहद पर अशांति का माहौल बनाने में लगी हुई है ऐसे वक्त पर देश वासियों को एक जुट होने की आवश्यकता है जिसको लेकर बालोद जिले के पूर्व डिप्टी कलेक्टर आशुतोष चतुर्वेदी ने एक कविता लिखे है साथ ही इस कविता का वीडियो भी फेसबुक पर शेयर किया जो इन दिनों लोगो को भी खासा पसंद आ रहा आपको बतादे आशुतोष के पहले भी ऐसी कई जीवंत कविताएं सामने आ चुकी है जो देश के हालातों पर लिखी जाती रही तो आज भी देश के माहौल पर ये कविता लिखी है
डिप्टी कलेक्टर का वीडियो नीचे दिए लिंक को क्लिक करके देखे
https://www.facebook.com/2139240532997449/posts/2634085466846284/?vh=e&d=n
ख़ुदाया करम कर दो
ख़ुदाया अब्र अश्कों का
ख़तम कर दो
खतम कर दो।
तड़पती इंसानियत पर कुछ
रहम कर दो
रहम कर दो।
के सारे इन अजाबों को
अदम कर दो
अदम कर दो।
आजमाइशी इस रात की अब तो
सुबह फ़ौरन कर दो
फ़ौरन कर दो।
के सारे दर्द को अब तो
दफन कर दो
दफन कर दो।
ख़ुदाया अब्र अश्कों का
ख़तम कर दो
खतम कर दो।
बहारें लौट आयें फिर
जमीं पर वो
करम कर दो।
सूखते इंसानियत की ज़मीं को
सींचकर इक बार
फिर हरा गुलशन कर दो।
के इस वीरान मंज़र को
चमन कर दो
चमन कर दो।
ख़ुदाया अब्र अश्कों का
ख़तम कर दो
खतम कर दो।
खाइयाँ खोद रक्खीं जो
लकीरें खींच रक्खीं सो
मिटाकर इक वतन कर दो।
बहे जो नेक बंदों के, वो आब-ए-चश्म हों मोती
शोलों की धधकती आँच
को ठण्डा मरहम कर दो।
फ़ना हों जात
और मज़हब
सियासत को कफ़न कर दो।
ख़ुदाया ये गुज़ारिश है
बिखरते क़ौम को फिर से
इक मुल्क बस अमलन कर दो।
ख़ुदाया अब्र अश्कों का
ख़तम कर दो
खतम कर दो।
ख़ुदाया अब्र अश्कों का
ख़तम कर दो
खतम कर दो।
शब्दावली
अब्र= बादल
अश्क़= आंसू
अज़ाब=दुःख, पीड़ा, संताप, तकलीफ़
अदम=शून्य, अस्तित्वहीन, अप्रभावी
आब-ए-चश्म= आँखों का पानी
अमलन= अमलिया तौर पे, वास्तव में, practically
©️२०२०, सर्वाधिकार सुरक्षित।
आशुतोष चतुर्वेदी
आपको बतादे डिप्टी कलेक्टर आशुतोष चतुर्वेदी तकरीबन 8 माह बालोद में पदस्थ रह चुके है जो कि वर्तमान में बेमेतरा जिले के साजा ब्लाक में एसडीएम के रूप में पदस्थ है।
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