मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी संकट के बीच एक अनूठी घटना देखने को मिली। होली की खुमारी छंटने के साथ ही मंगलवार शाम को बीजेपी के कुछ नेता स्पीकर एनपी प्रजापति से मिलने के लिए पहुंचे। हैरानी की बात यह थी कि इनके हाथ में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का खत था। सोमवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के 19 विधायकों ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मंगलवार शाम एमपी विधानसभा में नेता विपक्ष गोपाल भार्गव और बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा कुछ विधायकों के साथ विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के आवा पर पहुंचे। उनके हाथ में कांग्रेस के 19 विधायकों के इस्तीफे का खत था। गोपाल भार्गव ने बताया कि इस्तीफे विधायकों ने अपने हाथों से लिखे हैं। आम प्रचलन में कोई भी विधायक खुद इस्तीफे की चिट्ठी लेकर स्पीकर के पास पहुंचता है लेकिन एमपी के इस सियासी ड्रामे के बीच इस घटनाक्रम ने नई बहस छेड़ दी।
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अब क्या करेंगे स्पीकर?
इस्तीफों की संवैधानिक मान्यता कितनी है इसका फैसला तो अभी स्पीकर को करना बाकी है। हालांकि स्पीकर प्रजापति ने बिल्कुल सधे अंदाज में इतना जरूर कहा कि उन्हें विधायकों के इस्तीफे मिले हैं। विधानसभा के जो भी स्थापति नियम हैं उसी के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या स्पीकर कांग्रेस के विधायकों का इस्तीफा मंजूर करेंगे। अगर ये इस्तीफे मंजूर होते हैं तो कमलनाथ सरकार का बचना नामुमकिन होगा।
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कुछ महीने पहले कर्नाटक में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। जुलाई 2019 में हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम में कर्नाटक विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर केआर रमेश कुमार ने विधायकों का इस्तीफा मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने पूरे मामले को लंबा खींचने के लिए विधानसभा में कहा था कि हो सकता है कि विधायकों से दबाव में इस्तीफा लिया गया हो, इसलिए वह इस्तीफा देने वाले हर विधायक से अलग-अलग बात करेंगे। केआर रमेश कुमार की यह कोशिश नाकाम रही थी, आखिरकार यहां जेडीएस+कांग्रेस की गठबंधन सरकार गिर गई थी और बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा सरकार बनाने में कामयाब रहे थे।
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एमपी में बदल रहा नंबर गेम
जाहिर है 230 सदस्यों वाली विधानसभा में नंबर गेम बदल चुका है। दो विधायकों के निधन की वजह से सदन का वर्तमान संख्याबल 228 है। ऐसे में बहुमत के लिए 115 का आंकड़ा जरूरी है। अगर 19 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होते हैं या वे सदन से गैरहाजिर रहते हैं तो बहुमत का कामचलाऊ आंकड़ा 105 पर पहुंच जाएगा। बीजेपी के पास अभी 107 विधायक हैं। हालांकि कांग्रेस नेता शोभा ओझा का कहना है कि फ्लोर टेस्ट में हम बहुमत साबित करेंगे। बेंगलुरु में कांग्रेस के जो भी विधायक हैं, उन्हें गुमराह किया गया है। वे हमारे संपर्क में हैं। बीजेपी के भी कई विधायक हमारे संपर्क में हैं।