इस बारे में पुलिस ने बताया कि सुरेश रैना आज श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग से मिले और पुलिस के क्रिकेट टूर्नमेंट को लेकर बात की। वह यहां के युवाओं को निखारने में सहयोग करेंगे। उनका यह प्रस्ताव वॉलिंटियर के रूप मे होगा। बता दें कि 33 वर्षीय रैना ने कहा था कि वह खेल को कुछ वापस करना चाहते है। रैना स्वयं एक कश्मीरी पंडित हैं। उनके पिता त्रिलोकचंद राज्य के रैनवारी इलाके के रहने वाले हैं वहीं उनकी मां हिमाचल के धर्मशाला की मूल निवासी हैं।
रैना ने लेटर में लिखा था, ‘मैंने 15 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कड़ी मेहनत की है और इसलिए अब मैं अपनी जानकारी और इतने साल में सीखे गए हुनर को अगली पीढ़ी को देना चाहूंगा।’ जम्मू-कश्मीर की टीम ने रणजी ट्रोफी के सेटअप में 1959-60 में जगह बनाई लेकिन टीम तभी से भारत के बड़े घरेलू सेटअप में संघर्ष करती रही है। हालांकि परवेज रसूल की कप्तानी में टीम ने हाल के कुछ वर्षों बेहतर प्रदर्शन किया है।
साल 2013-2014 में टीम ने क्वॉर्टर फाइनल में जगह बनाई थी। उसने अगले सीजन में मुंबई को हराकर अपसेट किया था। 2019-20 में एक बार फिर उसने नॉकआउट में जगह बनाई। जम्मू-कश्मीर के पास काफी हाई प्रोफाइल कोच रहे हैं। बिशन सिंह बेदी 2012 में टीम के इन्चार्ज थे। इसके बाद 2014 में सुनील जोशी भी टीम के साथ जुड़े। फिलहाल टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर इरफान पठान मेंटॉर की भूमिका में हैं। जम्मू-कश्मीर के रासिक सलीम डार, ने 2019 में मुंबई इंडियंस के लिए डेब्यू किया था। वह इरफान पठान क्रिकेट अकादमी से निकले थे।
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