सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में धनखड़ ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और माओवादी उग्रवाद अपना सिर उठा रहा है। दरअसल दो दिन पहले ही ममता बनर्जी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर उनसे संविधान के दायरे में रहकर काम करने को कहा था। धनखड़ ने कानून-व्यवस्था को लेकर डीजीपी को पत्र लिखा था, जिस पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई है। ममता ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को लिखे 9 पेज के पत्र में कहा कि शक्तियों की सीमा पार कर मुख्यमंत्री पद की अनदेखी करने और राज्य के अधिकारियों को आदेश देने से दूर रहें।
ममता का पत्र, ‘राज्यपाल मुख्यमंत्री की मदद से काम करे, यही लोकतंत्र का सार’
राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में ममता ने कहा, ‘राज्यपाल की ओर से लगाए गए आरोपों में पुलिस और पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ बिना तथ्यों के फैसले और कटाक्ष शामिल हैं। मैं आपके पत्र और डीजीपी को लेकर की गई टिप्पणी को पढ़ने के बाद बेहद उदास और दुखी हुई हूं। साथ ही साथ इस बारे में आपके ट्विटर पोस्ट को देखकर भी दुख हुआ। अनुच्छेद 163 के अनुसार, आपको अपने मुख्यमंत्री और कैबिनेट की सहायता और सलाह के मुताबिक काम करना जरूरी है और यही हमारे लोकतंत्र का सार है। इसलिए मुख्यमंत्री की अनदेखी करने और राज्य के अधिकारियों को आदेश देने से दूर रहें।’
क्या है संविधान का अनुच्छेद 154?
संविधान में राज्यपाल और राज्यों के संबंधों को कई अनुच्छेदों में विस्तार से बताया गया है। संविधान के अनुच्छेद 154 के प्रावधानों के मुताबिक राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होगी। अनुच्छेद 154 (1) के मुताबिक, राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा।
पुरानी है राज्यपाल धनखड़ और ममता बनर्जी की अदावत!
बता दें कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तकरार नई नहीं है। राज्य के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद से धनखड़ और ममता बनर्जी के विचार मेल नहीं खाए और कई बार दोनों के बीच बेहद तल्ख तकरार देखने को मिली है। रविवार को ही राज्यपाल ने ममता को लिखे अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार केंद्र की पीएम किसान योजना में बिचौलिया क्यों बन रही है? उन्होंने लिखा कि अम्फान राहत और पीडीएस में भ्रष्टाचार को कोई भूला नहीं है। धनखड़ ने कहा, ‘अब वक्त किसानों के साथ पारदर्शी तरीके से निष्पक्षता दिखाने का है।’ दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केन्द्र को पत्र लिखकर कहा था कि वह पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री किसान योजना और आयुष्मान भारत योजना लागू करने को तैयार हैं, बशर्ते पैसे राज्य सरकार के जरिए लोगों को दी जाए। राज्यपाल ने ममता बनर्जी के प्रस्ताव पर आशंका जताई है कि इससे भ्रष्टाचार के नए रास्ते खुल सकते हैं।