सुकमा: तोंडेमरका सुकमा जिले का ऐसा इलाका जहां जाने से पहले भी लोग 100 बार सोचते हैं, लेकिन पुलिस जवानों ने बुधवार को इसी इलाके में लगभग 30 घंटे नक्सलियों से भिड़ते रहे। बता दें कि बीते दो दिनों के भीतर नक्सलियों और पुलिस जवनों के बीच 5 मुठभेड़ हुई है, जिसमें एक नक्सली मारा गया है। हालांकि मुठभेड़ में एक जवान शहीद और दो जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। वहीं, पुलिस का यह भी दावा है कि मुठभेड़ में कई और नक्सली भी मारे गए हैं।
गौरतलब है कि जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाका तोंडेमरका के जंगलों में टीसीओसी (टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैपेन) के दौरान नक्सलियों की बड़ी रणनीति बन रही थी साथ ही बड़े लीडरों की होने की सूचना मिल रही थी। जिसके बाद एक बड़ा आपरेशन लांच किया गया। जिसमें अलग-अलग कैम्प व थानों से सुरक्षा बल के जवानों को तोंडेमरका के जंगलों मं उतारा गया। दिनांक 18 फरवरी पलोड़ी कैम्प से कुछ ही दुरी पर कोबरा 208 के जवानों के साथ नक्सलियों की आधो घंटे तक मुठभेड़ हुई जिसमें एक जवान शहीद और एक घायल हो गया। उसी दिन देर शाम को दुरमा के पास कोबरा 206 के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई लेकिन शाम होने के कारण ज्यादा देर तक नहीं चली। उसके बाद दुसरे दिन यानि 19 फरवरी को डीआरजी के साथ दुरमा के जंगलों में नक्सलियों की जबरदस्त मुठभेड़ हुई वही उसके बाद तोंडेमरका में जहां दो घंटे तक जबरदस्त मुठभेड़ में एक नक्सली मारा गया और हथियार बरामद हुआ। उसके बाद जब जवान वापस लौट रहे थे तभी कसालपाड़ के पास नक्सलियों ने एंबुश लगाकर जवानों पर हमला बोल दिया। करीब ढाई घंटे तक दोनो और अंधाधुन फायरिंग होती रही। और यहां पर नक्सलियों ने करीब 600 बीजीएल (बैरेल ग्रेनेड लांचर) दागे. जहां एक जवान घायल हो गया। जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली वहां से भाग निकले। और जवानों ने घायल साथी को लेकर चिंतागुफा पहुंचे।
बुलैट प्रूफ जैकेट और टोपी पहनकर नक्सलियों ने किया हमला
इस मुठभेड़ में पहली बार नक्सली जवानों की तरह अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग तो कर ही रहे थे लेकिन बुलेट प्रूफ जैकेट का भी इस्तेमाल कर रहे थे। जवानों ने देखा कि जैसे ही नक्सली घायल होते है तो उन्हे लेने के लिए जो नक्सली आगे आते है वो बुलैट प्रूफ जैकेट पहले हुए थे साथ ही सिर पर टोपी भी पहने हुए थे वो भी बुलेट प्रूफ थी।
सुरक्षा बल की ड्रेस में महिला नक्सली
आपरेशन में शामिल जवानों ने बताया कि नक्सलियों की अलग-अलग टीमे थी और सभी अत्याधूनिक हथियारों से लैस थे। जिसमें महिलाओं की संख्या भी ज्यादा थी। जब कोई नक्सली मारता या घायल होता तो महिलाओं की रोने की आवाज आती थी। जवानों ने बताया कि कई नक्सलियों को गोली लगते और गिरते देखा है। लेकिन गोलीबारी इतनी जबरदस्त थी कि नक्सलियों के शवों को बरामद करना कठिन था। साथ ही मुठभेड़ के दौरान हमेशा की तरह आगे की पंक्ति में ग्रामीण वेशभूषा वालों को रखते है। साथ ही महिला व कुछ पुरूष नक्सली सुरक्षा बल के जवानों की तरह वर्दी पहने थे जिनकी पहचान करना भी मुश्किल हो जाती थी।
टीसीओसी को अंजाम देने नई टीम का गठन
नक्सलियों ने आगामी टीसी ओसी के लिए नई टीम का गठन किया है। इसमे दो टीमों को बनाया गया है। एक पामेड़ जगरगुण्ड़ा और दूसरी कोंटा किस्टाराम दोनो टीमों का काम है कि जवानों को नुकशान पहुंचाने के लिए काम करना। साथ ही जवानों के हथियार भी लूटना इनका काम है। यह हाल-फिलहाल में दो टीमे बनाई गई है।