दिल्ली में भटका, भोपाल में मौत, बिखरा परिवार

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भोपाल
दिल्ली के बेरहम अस्पतालों ने भोपाल के 1 शख्स की जिंदगी लील ली है। कोरोना टेस्ट के लिए दिल्ली के मयूर विहार में रहने वाले वीरेंद्र नेकिया 5 दिन तक अस्पतालों के चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी अस्पताल में वीरेंद्र का टेस्ट नहीं हुआ है। दिल्ली के अस्पतालों के बेरहमी के आगे मजबूर वीरेंद्र ने भोपाल में अपने रिश्तेदार से संपर्क किया, जो जेपी अस्पताल में कार्यरत हैं। उन्होंने इलाज के लिए भोपाल बुलाया।

वीरेंद्र निजामुद्दीन हबीबगंज-एक्सप्रेस से 800 किलोमीटर का सफर तय दिल्ली से भोपाल पहुंच गया। भोपाल पहुंचने तक वीरेंद्र नेकिया की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। उसके बाद तुरंत उसे भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां रविवार की सुबह उसकी मौत हो गई। वीरेंद्र की मौत के बाद परिवार 4 हिस्सों में बिखर गया है। वीरेंद्र का बेटा और भाई अब भोपाल में क्वारंटीन हैं, तो पत्नी दिल्ली के अस्पताल में भर्ती है। वहीं, बेटी को दिल्ली में ही आइसोलेट किया गया है।

वीरेंद्र की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद हबीबगंज-निजामुद्दीन एक्सप्रेस के एस-10 कोच के यात्रियों की तलाश की जा रही है। वीरेंद्र उसी कोच में सवार होकर भोपाल आए थे। ऐसे में दूसरे यात्रियों के भी संक्रमित होने की आशंका है। वहीं, भोपाल के अधिकारी इस बात को लेकर अचंभित हैं कि 103 डिग्री बुखार में स्क्रीनिंग के बाद रेलवे के अधिकारियों ने दिल्ली से उसे भोपाल कैसे आने दिया।

दिल्ली में पत्नी-बेटी की हालत खराब
मृतक का 18 वर्षीय बेटा भोपाल में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। उसके बताया कि पिता की मौत की खबर सुनकर मां को घर में अस्थमा का अटैक आया। 15 वर्षीय बहन उन्हें अस्पताल में लेकर भटकती रही। उसके बाद नोएडा सेक्टर 11 स्थित प्राइवेट अस्पताल में ले गई। जहां वह भर्ती हैं। वहीं, पिता का अंतिम संस्कार भोपाल में किया गया है। मृतक वीरेंद्र के बेटे ने कहा कि मैंने इसे लेकर दिल्ली सीएम, पीएमओ और स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट और मेल किया है।

29 मई को दिखा था लक्षण
बेटे ने बताया कि पापा को कोविड-19 के लक्षण 29 मई को दिखे थे। वह इसे लेकर अवेयर थे, स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर गए, जहां उन्हें बुखार की दवाइयां दी गईं और घर भेज दिया गया है। उसके बाद वह कोरोना टेस्ट के लिए जीटीबी अस्पताल गए, जहां जांच करने से मना कर दिया। मृतक का बेटा भोपाल में हॉस्टल में रहता है, यहां उसके कई रिश्तेदार भी हैं।

5 अस्पतालों ने भटकाया
वीरेंद्र के बेटे ने कहा कि एक सप्ताह के अंदर दिल्ली के 5 अस्पतालों ने पिता को कोरोना टेस्ट के लिए भटकाया। वह लगातार इन अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। बेटे ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कि अस्पताल वाले चक्कर कटवाते रहे लेकिन कोरोना का टेस्ट नहीं किया। इसके बाद परिवार के लोग परेशान होने लगे। बेटा ने बताया कि इन अस्पतालों को मैंने कई कॉल और मेल किया। उसके बाद मेरे पिता की तबीयत बिगड़ने लगी। उसके बाद मैंने भोपाल आने के लिए पूछा। वह भोपाल एक्सप्रेस से शनिवार की सुबह 6.30 बजे यहां पहुंचे।
हबीबगंज रेलवे स्टेशन से हम लोग पिता को सीधे जेपी अस्पताल ले गए, जहां से उन्हें हमीदिया अस्पताल रेफर कर दिया गया। अस्पताल में भर्ती होने के 2 घंटे बाद ही कोविड19 का इलाज शुरू हो गया। लेकिन अगले दिन उनकी मौत हो गई।

बेटी की रिपोर्ट पॉजिटिव
वहीं, सोमवार को बेटी की रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आई है। उसे होम क्वारंटीन किया गया है। अस्पताल में भर्ती मां की रिपोर्ट निगेटिव है।

हड़कंप
वहीं, ट्रेन से आने के दौरान रेलवे और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने 50 ऐसे लोगों को चिह्नित किया है, जो इसके संपर्क में आए थे। वहीं अधिकारी अचंभित हैं कि कैसे मरीज कोविड स्क्रीनिंग को पास कर गया। अधिकारियों ने बताया कि उसके लक्षण साफ दिखाई दे रहे थे। अब भोपाल और दिल्ली रेलवे स्टेशन के लिए यह खतरे की घंटी है।

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