दिल्‍ली मेट्रो के सामने पहली बार ऐसी मुसीबत

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नई दिल्ली
कोरोना की वजह से दिल्ली मेट्रो को पहली बार एक ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जो पिछले डेढ़ दशकों में कभी उसके सामने नहीं आई। ऑपरेशनल प्रॉफिट में चलने वाली देश की एकमात्र मेट्रो को पहली बार ऑपरेशनल लॉस का सामना करना पड़ रहा है। यह लॉस इतना ज्यादा है कि उसमें डीएमआरसी पूरे एक साल की लोन की किस्त चुका सकती थी। डीएमआरसी के लिए अब अपने ऑपरेशनल खर्चे निकाल पाना भी मुश्किल होता जा रहा है। मेट्रो के परिचालन पर चार महीने से जारी पाबंदी ने दिल्ली मेट्रो की कमर ही तोड़कर रख दी है।

मेट्रो कब शुरू होगी, अभी तय नहींजिन लोगों ने मेट्रो स्टेशन परिसर में प्रॉपर्टी किराए पर ले रखी है या विज्ञापन लगाए हुए हैं या स्टेशन में कोई अन्य सेवाएं देने का अनुबंध कर रखा है, वो सब भी डीएमआरसी के ऊपर लगातार किराए में छूट देने या कोई अन्य लाभ देने का दबाव बना रहे हैं। सरकार की तरफ से मिल रहे नए संकेतों ने मेट्रो के अधिकारियों की चिंता और बढ़ा दी है। ताजा जानकारी के अनुसार, सरकार अगले महीने शुरू होने वाले अनलॉक-3 के तहत जिम और सिनेमाघरों को तो कुछ शर्तों के साथ खोलने की इजाजत दे सकती है, लेकिन मेट्रो का परिचालन फिर से शुरू करने को लेकर अभी सरकार पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।

अबतक 1200 करोड़ से ज्‍यादा का नुकसानडीएमआरसी के सूत्रों का कहना है कि 22 मार्च से अब तक मेट्रो के बंद रहने से डीएमआरसी को 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। यह रकम तो केवल टिकटिंग से होने वाली कमाई की है। इसके अलावा मेट्रो स्टेशन परिसरों में किराए पर दी गई रीटेल और कर्मशल प्रॉपर्टीज के रेंट के मामले में भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ज्यादातर पेमेंट्स अटके हुए हैं और किराएदार किराए में छूट देने का दबाव बना रहे हैं। मेट्रो कंस्ट्रक्शन के लिए जापान की एजेंसी जायका से लिए गए लोन की एवज में डीएमआरसी को इस फाइनैंशल ईयर में कुल 1242.83 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, लेकिन डीएमआरसी अभी तक उसमें से केवल 79.19 करोड़ रुपये का ही भुगतान कर पाई है और उसे अभी 1163.64 करोड़ रुपये का भुगतान और करना है।

डीएमआरसी के अधिकारियों का साफतौर से कहना है कि वर्तमान में जैसे हालात बने हुए हैं, उसमें इस साल बकाया राशि का भुगतान करना बेहद मुश्किल है। अगर अगले महीने से मेट्रो को चलाने की अनुमति मिल भी जाए, तब भी अगले 6 महीने में 1100 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट कर पाना लगभग नामुमकिन है। अब डीएमआरसी इस मामले में केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाने पर विचार कर रही है।

छूट देने के लिए गाइडलाइंस में करना होगा बदलावडीएमआरसी ने अभी तमाम मेट्रो स्टेशनों पर 400 से ज्यादा छोटी-बड़ी दुकानें किराए पर दे रखी है। इसके अलावा नेहरू प्लेस, जैसे बड़े स्टेशनों पर प्रॉपर्टी डिवेलपमेंट के तहत बड़े ऑफिस या कमर्शल कॉम्प्लैक्स भी बनाए गए हैं, जिनके माध्यम से डीएमआरसी की अच्छी कमाई हो जाती है। इसके अलावा ट्रेनों पर और स्टेशन परिसर में लगाए जाने वाले विज्ञापन भी मेट्रो की कमाई का एक बड़ा जरिया है, लेकिन चूंकि 4 महीने से मेट्रो बंद पड़ी है, ऐसे में जिन कंपनियों ने पहले से ही पैसे देकर विज्ञापन के लिए स्पेस बुक करवा रखा है या प्रॉपर्टी किराए पर ले रखी है, वो अब डीएमआरसी से आगे कुछ महीनों के लिए राहत देने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए कई कॉन्ट्रैक्टरों व किराएदारों ने को चिट्ठियां भी लिखी हैं।

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