'देखते ही गोली…' क्या है यह आदेश, जानें सबकुछ

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नई दिल्ली/लखनऊ
देश की राजधानी दिल्ली नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर कई दिन से धू-धूकर जल रही है। करीब तीन दिन से जारी हिंसा के बीच मंगलवार को हालात को नियंत्रित करने के इरादे से ईस्टर्न रेंज के जॉइंट सीपी आलोक कुमार ने ‘शूट एट साइट’ के आदेश जारी किए जाने की जानकारी दी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ‘शूट एट साइट’ ऑर्डर क्या है और यह कब और कैसे जारी होता है?

इस चर्चित आदेश पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और ऐडवोकेट सुलखान सिंह का कहना है कि ‘शूट एट साइट’ का मतलब देखते ही गोली मार देना नहीं है। उनका साफ किया कि किसी के भी पास किसी को गोली मारने का अधिकार नहीं है।

आधिकारक टर्म नहीं है ‘शूट एट साइट’

नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में सुलखान सिंह ने बताया कि ‘शूट एट साइट’ आधिकारिक टर्म नहीं है, इसे मीडिया ने उछाला है। उन्होंने बताया, ‘शूट एट साइट हो ही नहीं सकता। कोर्ट ने भी कहा है कि ऐसा नहीं हो सकता है और यह अवैध है। दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के तहत मौके पर मौजूद मैजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी के पास यह अधिकार होता है कि वह भीड़ को गैर-कानूनी घोषित कर सकता है। इसके बाद भीड़ से हटने के लिए कहा जाता है और अगर भीड़ न हटे तो बलप्रयोग की चेतावनी दी जाती है जिसमें फायर आर्म्स का प्रयोग शामिल है। टियर गैस, रबर बुलेट, लाठीचार्ज, वॉटर कैनन या हिंसक होने पर गोली भी चलाई जा सकती है।’

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जान से मारने के लिए नहीं चला सकते गोली
पूर्व यूपी डीजीपी ने साफ किया कि गोली जान से मारने के लिए नहीं चलाई जानी चाहिए बल्कि घायल करके तितर-बितर करने और गिरफ्तार करने के लिए ही चलाई जानी चाहिए। उनके मुताबिक पुलिस को 12 बोर पंप ऐक्शन गन दी गई हैं जो घातक या जानलेवा नहीं होती हैं लेकिन काफी असरदार होती हैं। इसके बाद भी अगर पंप ऐक्शन गन का असर न पड़े तो राइफल या रिवॉल्वर/पिस्टल से गोली चलाई जा सकती है।

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कत्ली अपराधी ही क्यों न हो, नहीं मार सकते देखते ही गोली
सिंह ने बताया कि कोई कत्ली या इनामी अपराधी भी हो तो भी उसे देखते ही गोली नहीं मारी जा सकती। उनके मुताबिक किसी भी कानून में देखते ही गोली मारने की शक्ति किसी अथॉरिटी को नहीं दी गई है। इस प्रकार स्पष्ट है कि न तो कोई अधिकारी ‘देखते ही गोली मार’ सकता है और न ही कोई प्राधिकारी ‘देखते ही गोली मारने’ का आदेश दे सकता है। ऐसा करना कानून हत्या या ऐसा आदेश देना ‘हत्या के लिए दुष्प्रेरण’ माना जाएगा।

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