बालोद: कोविड-19 के रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के कारण बालोद जिले के मजदूर जो देश के अन्य राज्यों में फंसे हुए है, उनकी मदद हेतु प्रशासन सदैव तत्पर है और संवेदनशीलता के साथ उनके राशन एवं आवास की समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है। कलेक्टर रानू साहू ने बताया कि वर्तमान में जनप्रतिनिधियों व अन्य माध्यम से जिले के मजदूरों के विभिन्न राज्यों में फंसे होने तथा उन्हें राशन और अन्य मदद की आवश्यकता होने की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक के संबंधित जिलों के कलेक्टर या जिला प्रशासन से बात की गई एवं राशन, आवास व्यवस्था हेतु मदद मॉगी गई। उक्त राज्यों के कंट्रोल रूम में मजदूरों का नाम, मोबाईल नम्बर प्रदाय किया गया। प्रत्येक मजदूरों से फोन पर बालोद जिला कंट्रोल रूम से बात की जा रही है। किसी भी मजदूर के द्वारा राशन या आवास की समस्या बताई जाती हैं तब तत्काल स्थानीय जिला प्रशासन, एन.जी.ओ. वालिंटियर एवं संबंधित जिले के कंट्रोल रूम में फोन करके मदद हेतु सूचित किया जाता है। कलेक्टर ने बताया कि अब तक कुल 946 मजदूरों से सीधे बात की गई है, जिसमें से 570 मजदूरों द्वारा राशन की समस्या बताई गई जिसका निराकरण किया गया।
कलेक्टर ने बताया कि महाराष्ट्र में फंसे 486 मजदूरों में से 240 मजदूरों ने भोजन, आवास हेतु समस्या बताई, अांध्रप्रदेश में फंसे 14 मजदूरों में से 10 मजदूर, कर्नाटक में फंसे 51 में से 40 मजदूर, उत्तरप्रदेश में फंसे तीन मजदूर, तमिलनाडु में फंसे 07 मजदूर, तेलंगाना में फंसे 292 में से 233 मजदूर, गुजरात में फंसे 37 में से 18 मजदूर, दिल्ली में फंसे 12 में से 05 मजदूर, उड़ीसा में फंसे एक मजदूर, उत्तराखण्ड में फंसे 03 में से 01 मजदूर और मध्यप्रदेश में फंसे 19 में से 12 मजदूरों ने भोजन, आवास हेतु समस्या बताई, जिसका निराकरण किया गया।
कलेक्टर ने बताया कि इसके अतिरिक्त जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों के माध्यम से प्रत्येक गॉव से प्रवासी मजदूरों की सूची तथा बैंक खाता नम्बर की जानकारी ली जा रही है। आवश्यक होने पर गॉव स्तर और श्रमिकों से सत्यापन के पश्चात मजदूरों के बैंक खाते में जिला आपदा निधि से राशि दी जाएगी। कलेक्टर ने बताया कि जिले से प्रति वर्ष लगभग चार हजार पॉच सौ मजदूर अधिक मजदूरी हेतु अन्य राज्यों में जाते हैं। इस वर्ष भी श्रम विभाग के अनुसार लगभग छह हजार मजदूर राज्य से बाहर गए हैं। ग्राम पंचायत एवं स्वास्थ्य विभाग के डाटा के अनुसार तीन हजार तीन सौ मजदूर पैदल अपने गॉव में पहुॅच चुके हैं एवं उन्हें 28 दिन के होम आइसोलेशन में रखा गया है जिनका भी ध्यान जिला प्रशासन रख रही है ।