देसी वैक्सीन पर गुड न्यूज, हर्षवर्धन ने दिए संकेत

कोरोना वायरस का खात्‍मा करने वाली वैक्‍सीन की खोज जारी है। कई वैक्‍सीन कैंडिडेट्स का ट्रायल एडवांस्‍ड स्‍टेज में पहुंच चुका है। ICMR-भारत बायोटेक की देसी कोरोना वैक्‍सीन Covaxin का फेज 1 और 2 ट्रायल भी शुरू हो गया है। शुरुआती डोज दिए जाने के बाद वॉलंटिअर्स में किसी तरह के साइड-इफेक्‍ट्स देखने को नहीं मिले हैं। रिसर्च में सहयोग के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्‍नोलॉजी (DBT) ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं। ग्‍लोबल लेवल पर देखें तो चीनी कंपनी साइनोफार्म की वैक्‍सीन ह्यूमन ट्रायल के थर्ड स्‍टेज में पहुंच गई है। दावा है कि यह वह ट्रायल के तीसरे दौर में पहुंचने वाली दुनिया की पहली कोविड-19 वैक्‍सीन है। आइए, वैक्‍सीन डेवलपमेंट और रिसर्च को लेकर ताजा अपडेट्स जानते हैं।

मलेशिया में इंसानों पर टेस्‍ट होने वाली कोरोना वैक्‍सीन के शुरुआती नतीजे बेहद अच्‍छे रहे हैं। वैक्‍सीन हर वॉलंटिअर्स में इम्‍यून रेस्‍पांस ट्रिगर करने में सफल रही। रिसर्चर्स के मुताबिक, वैक्‍सीन के कोई खास साइड इफेक्‍ट्स भी देखने को नहीं मिले। यह नतीजे इसलिए भी अहम हैं क्‍योंकि अभीतक अधिकतर वैक्‍सीन के ट्रायल में कई साइड इफेक्‍ट्स देखे गए हैं। मलेशियाई स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने ट्विटर पर कहा कि अभी और स्‍टडी की जरूरत है।

अमेरिकन कंपनी मॉडर्ना की वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल में सारे वॉलंटिअर्स में कोरोना के प्रति इम्‍यूनिटी शुरू करने में कामयाब रही है। मगर एक दिक्‍कत रिसर्चर्स को पता चली है। आधे से ज्‍यादा वॉलंटिअर्स को वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट्स महसूस हुए। एक ग्रुप के लक्षण तो ‘गभीर’ पाए गए। अधिकांश वॉलंटिअर्स को कम से कम एक साइड इफेक्‍ट हुआ। थकान, सिरदर्द, इंजेक्‍शन वाली जगह पर दर्द के अलावा बुखार, घुटनों में दर्द और मितली जैसी दिक्‍कतें आईं।

एक रूसी दवा कंपनी ने ब्रिटिश कोरोना वैक्‍सीन बनाने का सौदा किया है। ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्‍सीन मॉस्‍को की आर-फार्म में बनेगी। कंपनी ने Astrazeneca ने इसका करार किया है। यह डील ऐसे वक्‍त में हुई है जब ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने रूसी हैकर्स पर वैक्‍सीन ट्रायल का डेटा चुराने का आरोप लगाया है।

साइंटिस्‍टक्‍लॉस स्‍टॉ ने दुनियाभर की सरकारों से अपील की है कि वे कई सालों के लिए तैयारी करें। 2003 में SARS देने वाले कोरोना वायरस का पता लगाने में अहम भूमिका अदा करने वाले क्‍लॉस ने कहा कि यह महामारी एविएशन फ्लू जितनी खतरनाक साबित हो सकती है। उनके मुताबिक, कोरोना की सेकेंड वेव जरूर आएगी और वो बेहद गंभीर होगी। क्‍लॉस ने ब्‍लूमबर्ग से बातचीत में कहा कि ‘दुनिया की 90 फीसदी से ज्‍यादा आबादी खतरे में है। अगर हम सीरियस लॉकडाउन या ऐसे ही कदम नहीं उठाते तो यह वायरस बहुत बड़ी महामारी बन जाएगा। वैक्‍सीन को लेकर उन्‍होंने कहा कि दुनिया दो समूहों में बंट जाएगी। एक जिसके बाद वैक्‍सीन होगी और दूसरा जिसके पास वैक्‍सीन नहीं होगी। उन्‍होंने कहा कि थर्ड वेव तक दुनिया की 80% आबादी में ऐंटीबॉडीज हो जाएंगी।

ICMR-भारत बायोटेक की Covaxin एक ‘इनऐक्टिवेटेड’ वैक्‍सीन है। यह उन कोरोना वायरस के पार्टिकल्‍स से बनी है जिन्‍हें मार दिया गया था ताकि वे इन्फेक्‍ट न कर पाएं। इसकी डोज से शरीर में वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनती हैं। जायडस कैडिला की ZyCov ‘प्‍लाज्मिड डीएनए’ वैक्‍सीन है। ये वैक्‍सीन दरअसल एक तरह का डीएनए अणु होती हैं जिनमें ऐंटीजेन भी कोड किया जाता है। इसका डीएनए सीक्‍वेंस वायरस से मैच करेगा तो शरीर उसके खिलाफ ऐंटीबॉडीज बनाने लगेगा।

भारत में कोरोना वैक्‍सीन से जुड़ी सभी रिसर्च ठीक से हो, इसके लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्‍नोलॉजी और उसके 16 रिसर्च इंस्‍टीट्यूट लगे हुए हैं। कम लात वाली कई टेस्‍ट किट डेवलप की गई हैं। क्लिनिकल और वायरस सैंपल्‍स के एक्‍सेस के लिए बायोरिपॉजिटरीज पूरी क्षमता से काम कर रही हैं। कोरोना पॉजिटिव मिले मरीजों का एक पैनल भी बनाया गया है जो किट्स को वैलिडेट करने में मदद करेगा। इसके अलावा एनिमल मॉडल्‍स, वायरल स्‍पाइक प्रोटीन्‍स, रिसेप्‍टर बाइंडिंग पेप्‍टाइल्‍स, स्‍यूडोवायरस, ऐंटीबॉडीज पर रिसर्च चल रही है। DBT फरीदाबाद में ऐंटीवायरल्‍स, थिरपॉटिक्‍स और वैक्‍सीन्‍स के लिए हैम्‍सटर इन्‍फेक्‍शन मॉडल बनाया गया है।

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UAE में कोविड-19 की इनऐक्टिवेटेड वैक्‍सीन का फेज-3 ट्रायल शुरू हो गया है। चीन की बनाई वैक्‍सीन की अबू धाबी में 15,000 रजिस्‍टर्ड वॉलंटिअर्स को पहली डोज दी गई। इस क्लिनिकल ट्रायल को बहुत ही सख्‍त नियमों के तहत कराया जा रहा है। चीनी कंपनी का दावा है कि 28 दिन के अंदर दो बार इस वैक्‍सीन की डोज देने पर 100 फीसदी लोगों में ऐंटीबॉडीज डेवलप हुए।

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ऑक्‍सफर्ड यूनिवर्सिटी के अलावा लंदन के इंपीरियल कॉलेज की वैक्‍सीन भी इंसानों पर ट्रायल के दूसरे दौर में पहुंच गई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि पहले चरण में वैक्सीन ने अच्छा प्रभाव दिखाया है। अभी तक कोई साइड इफेक्‍ट देखने को नहीं मिला है। ट्रायल के दूसरे फेज में 18 से 75 साल की उम्र के 105 लोगों को वैक्सीन की खुराक दी जाएगी। इसके चार सप्ताह बाद सभी प्रतिभागियों को बूस्टर डोज दिया जाएगा। तीसरा ट्रायल नवंबर में 6,000 लोगों पर करने का प्‍लान है। दुनिया में जिन वैक्‍सीन्‍स का टेस्‍ट चल रहा है, उनमें से अधिकतर कमजोर या वायरस का परिवर्तित रूप हैं। जबकि इंपीरियल कॉलेज की वैक्सीन जेनेटिक कोड के सिंथेटिक स्ट्रैंड का उपयोग करके वायरस के असर को खत्म करेगी। यह वैक्सीन मांसपेशियों में इजेक्ट होने के बाद स्पाइक प्रोटीन को बनाने में सहायता करेगी।

यूरोपियन यूनियन और सनोफी के बीच कोरोना वैक्‍सीन को लेकर सौदेबाजी हो रही है। ब्‍लूमबर्ग के मुताबिक, 2021 की दूसरी छमाही में 300 मिलियन डोज की खातिर बातचीत हो रही है। EU ने सनोफी के अलावा मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन, क्‍योरवैक, बायोएनटेक जैसी कंपनियों से एडवांस में वैक्‍सीन खरीदने पर चर्चा की है।

भारतीय कंपनी जायडस कैडिला का कहना है कि उसकी वैक्‍सीन का ट्रायल अगले साल फरवरी या मार्च तक पूरा हो सकता है। कंपनी के चेयरमैन पंकज पटेल का दावा है कि ट्रायल सफल रहने पर एक साल में 10 करोड़ डोज तैयार की जाएंगी। Zycov-D की नाम की वैक्‍सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है।

चीनी कंपनी SinoPharm ने ही बड़े गर्व से बताया है कि उन्‍हें अपनी वैक्‍सीन का ‘प्री टेस्‍ट’ किया है। यानी सरकार के लोगों पर टेस्टिंग का अप्रूवल देने से पहले ही, वैक्‍सीन लोगों को दे दी गई। कंपनी ने अपने ही स्‍टाफ को वैक्‍सीन की डोज दी। चीन कोरोना वैक्‍सीन डेवलपमेंट में बहुत आगे है। करीब दो दर्जन टॉप वैक्‍सीन कैंडिडेट्स में से आठ चीन की हैं।

दुनिया के सबसे बड़े वैक्‍सीन निर्माता सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया के मुताबिक, मैनुफैक्‍चरिंग लाइसेंस मिलने के बाद वे सिर्फ तीन महीनों में करोड़ों डोज बना लेंगे। कंपनी ने AstraZeneca के साथ करोड़ों डॉलर का करार किया है। सीरम के चेयरमैन आदर पूनावाला ने कहा कि दो से तीन दिन में वैक्‍सीन पर एक बड़ा अपडेट दिया जाएगा। वैक्‍सीन का फेज-1 ट्रायल पूरा हो चुका है।

WHO के अनुसार, दुनियाभर में 130 से ज्‍यादा वैक्‍सीन कैंडिडेट्स हैं। इनमें से 20 से ज्‍यादा ऐसी हैं जो क्लिनिकल ट्रायल की अलग-अलग स्‍टेज से गुजर रही हैं।

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