निर्भया: मुजरिमों के दांवपेच जारी, टलेगी फांसी?

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नई दिल्लीनिर्भया के गुनहगार मुकेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर क्यूरेटिव पिटिशन दोबारा दाखिल करने की इजाजत मांगी गई है जिस पर सुप्रीम कोर्ट 16 मार्च को सुनवाई करने वाली है। वहीं बाकी मुजरिमों के वकील एपी सिंह ने एनबीटी को बताया कि आने वाले हफ्ते में उनकी ओर से भी अर्जी दाखिल की जाएगी और फांसी पर रोक की गुहार लगाई जाएगी। इस तरह देखा जाए तो मुजरिम कोई भी कानूनी दांव आजमाने से नहीं चूक रहे हैं लेकिन कानूनी जानकार बताते हैं कि अब फांसी की तारीख नहीं बदलनी चाहिए।

मुकेश के वकील एमएल शर्मा की ओर से अर्जी दाखिल कर भारत सरकार, दिल्ली सरकार और एमिकस क्यूरी (कोर्ट सलाहकार) को प्रतिवादी बनाया गया है। अर्जी में कहा गया है कि उसे साजिश का शिकार बनाया गया है। उसे नहीं बताया गया कि लिमिटेशन एक्ट के तहत क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है। इस तरह देखा जाए तो उसे उसके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है इसी कारण रिट दाखिल की गई है। इस मामले में तुरंत सुनवाई की भी गुहार लगाई गई और कहा गया कि मामले की सुनवाई 9 मार्च को ही की जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख तय कर दी है।

विनय की ओर से याचिका दायर करेंगे एपी सिंह
इसी बीच विनय, अक्षय और पवन के वकील एपी सिंह ने एनबीटी को बताया कि विनय की ओर से अर्जी दाखिल की जाएगी जिसमें उसकी दया याचिका खारिज करने के दिल्ली सरकार की सिफारिश को चुनौती दी जाएगी। सिंह ने बताया कि विनय ने जब दया याचिका दायर की गई थी तब दिल्ली में चुनाव चल रहा था और आचार संहिता लागू थी इस मौके पर कैसे दिल्ली के मंत्री ने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश की ये सवाल अदालत के सामने उठाया जाएगा।

अक्षय की ओर से भी अर्जी
अक्षय की ओर से भी अर्जी दाखिल की जाएगी। एपी सिंह ने बताया कि अक्षय की पहली मर्सी पिटिशन अधूरी थी और दूसरी बार मर्सी पिटिशन दाखिल की गई थी। जो पेंडिंग थी। अदालत में ये सवाल भी उठाया गया था, मर्सी पिटिशन दाखिल किए जाने की बात सामने आई थी लेकिन इस मर्सी पिटिशन के पेंडिंग रहने के दौरान ही 5 मार्च को डेथ वॉरंट जारी कर दिया गया। इस मामले को भी अदालत में अर्जी दाखिल की जानी है। सिंह ने ये भी कहा कि पवन की दया याचिका खारिज होने के 24 घंटे के भीतर ही फांसी की तारीख तय कर दी गई और उसे अपील का मौका नहीं दिया गया। इन तमाम सवालों को ऊपरी अदालत के सामने उठाया जाएगा और फांसी की तारीख टालने की गुहार लगाई जाएगी।

’20 मार्च को ही होगी फांसी’हालांकि कानूनी जानकार करण सिंह बताते हैं कि चारों गुनाहगारों की रिव्यू, क्यूरेटिव और मर्सी पिटिशन खारिज हो चुकी हैं। आखिरी मर्सी पिटिशन खारिज होने के 14 दिन बाद की फांसी की तारीख तय की गई है। शत्रुघ्न चौहान जजमेंट के तहत जो अनिवार्यता थी उसे पूरा किया गया है। ऐसे में अब फांसी की तय तारीख 20 मार्च को ही फांसी होनी चाहिए। वकील मनीष भदौरिया बताते हैं कि मर्सी खारिज होने के बाद पहले भी सुप्रीम कोर्ट में रिट दाखिल होती रही है लेकिन ऐसा सिलसिला अंतहीन नहीं हो सकता है।

‘तारीख बदलने की संभावना नहीं’
मर्सी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिट और रिट खारिज होने के बाद दोबारा मर्सी पिटिशन दाखिल होता रहा तो वह सिलसिला कभी खत्म नहीं होगा। दोषी की मर्जी है कि वह अर्जी दाखिल करे और वह आखिरी दम तक कोशिश कर सकता है लेकिन अब शायद ही फांसी की तारीख टल पाए। अगर सुप्रीम कोर्ट को लगेगा कि सुनवाई के लिए फांसी पर रोक जरूरी है तभी फांसी की तारीख टल सकती है अन्यथा नहीं। वैसे मौजूदा केस में अब फांसी की तारीख बदलने की संभावना नहीं है।

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