निर्भया: विनय ने राष्ट्रपति के फैसले पर उठाया सवाल

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नई दिल्ली
निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक ने शुक्रवार को का दरवाजा खटखटाकर दावा किया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और संवैधानिक अनियमितताएं थीं। शर्मा की तरफ से याचिका उसके वकील ए पी सिंह ने दायर की, जिन्होंने कहा कि मामले को दिल्ली हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में दायर किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं हैं।

दोषी के पिता ने गवाह पर पैसे लेने का लगाया आरोप
फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक पवन कुमार गुप्ता के पिता हीरालाल गुप्ता ने 12 मार्च को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है। निचली अदालत ने समाचार चैनलों को कथित तौर पर पैसा लेकर इंटरव्यू देने के लिए मामले में एकमात्र गवाह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था।

हीरालाल गुप्ता की याचिका सत्र अदालत की ओर से 27 जनवरी को उनकी याचिका खारिज करने के खिलाफ है। 23 वर्षीय पीड़िता का दोस्त और एकमात्र गवाह उसके साथ उसी बस में था जब जघन्य घटना हुई। अपराधियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी। गुप्ता ने अपनी याचिका में दावा किया कि गवाह के कृत्यों से मामले का मीडिया ट्रायल शुरू हो गया और उसके बेटे के मामले की उचित सुनवाई नहीं हुई।

याचिका एक मीडिया घराने के एक पत्रकार के ट्वीट से जुड़ी हुई है, जिन्होंने दावा किया था कि गवाह ने विभिन्न समाचार चैनलों को साक्षात्कार देने के लिए पैसा लिया था। याचिका में दावा किया गया, ‘ट्वीट से स्पष्ट है कि उसकी (गवाह) गवाही झूठी है और इसलिए उसकी कथित झूठी गवाही की स्वतंत्र जांच आवश्यक है।’

दिल्ली की एक अदालत ने चार दोषियों विनय शर्मा (26), अक्षय कुमार सिंह (31), मुकेश कुमार सिंह (32) और पवन (26) को 20 मार्च को फांसी देने के लिए मौत का वारंट जारी किया था। दिसम्बर 2012 मामले की पीड़िता फिजियोथेरेपी की छात्रा को निर्भया नाम दिया गया था, जिससे दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में बलात्कार करने के साथ ही उस पर बुरी तरह हमला किया गया था। 29 दिसम्बर 2012 को उसकी सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी।

पवन गुप्ता ने खुद पर हमले की कही बात
दिल्ली के एक अदालत ने निर्भया मामले में 12 मार्च को पवन गुप्ता की शिकायत पर मंडोली जेल अधिकारियों से एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) मांगी है। पवन ने दो पुलिस वालों पर पिटाई करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। मेट्रोपॉलिटन न्यायाधीश प्रयांक नायक ने 8 अप्रैल तक जेल अधिकारियों से एटीआर मांगी है।

न्यायाधीश ने स्पष्ट किया, ‘इस आदेश का अगले मामले पर कोई असर नहीं होगा। इस मामले के कारण फांसी को नहीं रोका जाएगा।’ कोर्ट ने कल जेल अधिकारियों से पवन के उस आवेदन पर जबाव मांगा था, जिसमें पवन ने हर्ष विहार पुलिस स्टेशन के एसएचओ से अनिल कुमार और एक अन्य पुलिस कांस्टेबल पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की थी। पवन को अन्य 3 दोषियों के साथ 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दी जानी है। उसने आरोप लगाया है कि उसे पिछले साल 26 से 28 जुलाई के बीच लाठी और घूंसे से पूरे शरीर पर वार किए गए थे। पवन ने अपने आवेदन में कहा है, ‘उन्होंने मुझे धीरे-धीरे जान से मारने की धमकी भी दी थी।’

उसने आगे बताया कि सिर में चोट के कारण उसका शहादरा के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इलाज भी किया गया था। इसके बाद जेल अधिकारियों ने इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कही थी, लेकिन आरोपियों के खिलाफ ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया। दोषियों को बाद में तिहाड़ की जेल नंबर-3 में स्थानांतरित कर दिया गया था।

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