नीतीश की फोटो पर लालू, विकास बलबला रहा है

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रांची/पटना
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आक्रामक हमला किया है। जेल में बंद लालू यादव के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में एक तस्वीर के जरिए नीतीश सरकार के विकास के दावों पर चोट की गई है। लालू यादव ने ट्वीट में एक तस्वीर शेयर किया है। इस तस्वीर में नीतीश कुमार रास्ते से गुजर रहे हैं। रास्ते के किनारों पर गंदी बस्ती दिख रही है। झुग्गी झोपड़ी में लोग बसे हुए हैं। सीएम नीतीश को ये गंदगी ना दिख इसलिए पुलिस वाले हाथों से पर्दा ताने हुए दिख रहे हैं।

इसी तस्वीर को आधार बनाकर लालू यादव ने ट्वीट में लिखा है- ‘पर्दे में रहने दो पर्दा ना उठाओ, पर्दा जो उठ गया तो भेद खुल जाएगा। नीतीश कुमार के पंद्रह साल, भ्रम और झूठ का काला काल।’

लालू जेल छूट जाएं तो चुनाव में एनडीए का रास्ता और आसान: सुशील मोदी
लालू के बयान पर बिहार के उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुशील कुमार मोदी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव विधानसभा चुनाव से पहले जेल से बाहर आ जाएं तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए रास्ता और आसान हो जाएगा।

मोदी ने एनडीए के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर नीतीश कुमार के नाम के संबंध में कहा कि नीतीश ऐसे कमांडर हैं, जिनकी छवि पर कोई दाग नहीं है, भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। जिन्होंने बिहार को कठिन दौर से निकाल कर विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया हो, उसे बदलने का सवाल ही नहीं है।

उपमुख्यमंत्री मोदी ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि युद्ध के दौरान कभी कमांडर नहीं बदला जाता। पिछले विधानसभा चुनाव के समय हुई राजद-जदयू की दोस्ती का जिक्र किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘जदयू कार्यकर्ताओं ने इस दोस्ती को कभी स्वीकार नहीं किया। हम सबको मालूम था कि यह दोस्ती अधिक दिनों तक चलने वाली नहीं है। कोई भी व्यक्ति जो विकास चाहने वाला है, वह कभी लालू प्रसाद और उनके ‘लालूवाद’ को स्वीकार ही नहीं कर सकता।’

मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद अगर विधानसभा चुनाव से पहले जेल से बाहर आ जाएं तो एनडीए की राह और आसान हो जाएगी। साल 2010 में लालू प्रसाद जेल से बाहर ही थे, मगर एनडीए ने उन्हें 22 सीटों पर सिमटा दिया था। एनडीए की जीत का दावा करते हुए मोदी ने कहा, ‘बिहार में एनडीए और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के वोट में 20 फीसदी का फासला है। साल 2010 और 2015 के चुनाव में यह अंतर 18 से 23 प्रतिशत का था। अन्य राज्यों में तो एक से दो प्रतिशत के अंतर से सरकारें बनती-गिरती हैं। ऐसे में एनडीए से पार पाना संप्रग के लिए संभव नहीं है।’

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