'नेपालियों को खाना दिया, हमें ही खतरे में डाला'

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आभा सिंह, पूर्वी चम्पारण
नेपाल के जिद्दी रवैये के चलते बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाढ़ सुरक्षा की लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए नेपाल के संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करने का आदेश दिया है। साथ ही विकल्प के तौर पर कुछ सुझाव भी दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कोशी, गंडक, कमला व अन्य नदियों पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों की स्थिति और संभावित बाढ़ की पूर्व तैयारियों की समीक्षा की।

सीएम की ओर से दिए गए सुझाव में कहा गया कि कोशी, गंडक, कमला और अन्य नदी बेसिन व सीमावर्ती क्षेत्रों और पिछली बार जहां कटाव हुआ था, उन स्थानों पर सुरक्षा के लिए बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों पूरी तत्परता के साथ पूरा करें। ललबेकिया दायां मार्जिनल बांध और कमला वियर के बायें व दायें गाईड-मार्जिनल बांध पर बाढ़ से निपटने की सामग्रियों का भंडारण पर्याप्त मात्रा में रखें। कोसी बेसिन में 22 में से 15 स्कीम अभी तक पूरे हुए हैं। शेष काम को भी जल्द से जल्द करा लिया जाए। हमने नेपाल की ओर से शुरू किए गए विवाद को समझने के लिए नवभारत टाइम्स.कॉम ने जमीनी हकीकत का जायजा लिया है। आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।

नेपाल नहीं माना तो भारी तबाही की आशंका
भारत नेपाल की सीमा पर तटबंध निर्माण में आयी रुकावट को दूर नहीं किया जा सका है। तटबंध के पुनर्निर्माण का कार्य रुका है। पूर्वी चम्पारण के सिकरहना अनुमंडल के ललबकेया नदी पर हो रहे तटबंध के निर्माण पर नेपाल सरकार ने रोक लगाया है। इसके बाद ललबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध पर यथास्थिति बरकरार रखने के लिए अधिकारियों का दौरा भी लगातार जारी है।

2017 में बिहार झेल चुका है भयंकर बाढ़
पूर्वी चम्पारण जिला मुख्यालय मोतिहारी से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर ललबकेया नदी का बलुआ गुआबारी तटबंध है। बताया जाता है कि इस तटबंध का निर्माण जिले के पूर्वी हिस्से को बाढ़ से बचाने के लिए अंग्रेजी शासनकाल में कराया गया था। समय समय पर बांध की मरम्मति और पुनर्निमाण का कार्य होता रहा है। लेकिन दोनों देशों के नागरिकों के बीच विवाद 2017 के प्रलयंकारी बाढ़ के बाद से शुरु हुआ है। सरकार जिले के ढाका, पताही, पकड़ीदयाल और चिरैया प्रखंड को बाढ़ की विभिषिका से बचाने के लिए बाढ़ में क्षतिग्रस्त तटबंध के पुनर्निर्माण का कार्य शुरु कराया।

बिहार आ जाता है हिमालय की गोद का पानी
हिमालय की गोद में होने वाली भारी बारिश का पानी इन इलाकों में तबाही नहीं मचाए और पानी नेपाल के रास्ते ही नदियों में चली जाय लिहाजा, नेपाल के नागरिक तटबंध के निर्माण होने से पानी के खतरे को भापते हुए काम को रोकने के लिए अडंगा लगा दिया। कोरोना लॉकडाउन के बीच हो रहे तटबंध पुनर्निर्माण पर नेपाल सरकार के अधिकारियों ने अपने नागरिकों के साथ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया और काम पर रोक लगा दिया है।

मॉनसून की बारिश शुरु है, जो कभी भी तेज हो सकती है। बाबजूद इसके अधिकारियों का दल निरीक्षण में तटबंध पर पहूंच रहे हैं। इसके अलावा सिंचाई विभाग के अधिकारी भी तटबंध पर नजर बनाये हुए है। जबकि सिंचाई विभाग के अभियन्ता बबन सिंह बताते हैं कि नेपाल के अधिकारियों के साथ हुए समझौता के अनुसार ही काम चल रहा था। लेकिन नेपाल के अधिकारियों ने पांच सौ मीटर लम्बाई क्षेत्र को अपनी जमीन बताकर काम को रुकवा दिया है।

बाढ़ आने पर नेपाल वालों ने भारत में ली थी शरण
अभियन्ता बताते हैं कि नेपाल के अधिकारियों ने सर्वे टीम के जांच और रिपोर्ट के बाद ही काम शुरु करने की बात कह विवाद शुरु किया है। तटबंध के पुनर्निर्माण को लेकर नेपाल के लोगों के बदले रुख से भारतीय क्षेत्र के ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीण नेपाल के बंजरहां गांव के लोगों के साथ नेपाल सीमा प्रहरी के बदले तेवर से भारतीय क्षेत्र के ग्रामीणों मे आक्रोश व्याप्त है। बलुआ गुआबारी के निवासी रामनरेश भगत ने कहा कि नेपाल के बंजरहा गांव के लोगों के साथ उनके रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं। बाढ़ की विभिषिका के समय हमलोगों के साथ ही इसी तटबंध पर पूरे परिवार के साथ शरण लिया था।

बाढ़ में भारतीयों ने दिया था नेपालियों को भोजन
इतना ही नहीं हमारे परिवार के लिए आने वाले भोजन में से ही लेकर अपनी जिन्दगी को बचाया भी है। लेकिन अब तटबंध की मरम्मति के समय विपदा के समय को भूलकर बंजरहां गांव के लोग नेपाल सीमा प्रहरी के साथ मिलकर मारपीट पर उतारु हो जा रहे हैं। हीरापुर गांव निवासी अब्दुल बारी बताते हैं कि नेपाल के बंजरहां गांव के लोग और नेपाल प्रहरी बांध को लेकर हमेशा विवाद करते हैं। लेकिन इस साल तटबंध को अपनी जमीन बता रहे हैं और काम को रुकवा दिया है।

नेपाल को डर है तटबंध में पानी रुका तो उनके यहां होगी तबाही
ग्रामीण महताब आलम बताते हैं कि नेपाली लोगों को शंका है कि तटबंध बन जाने से बाढ़ का पानी नेपाल को डुबा देगा। इसी कारण तटबंध के पुनर्निर्माण को रोकवा दिया है। नेपाल की जनता और नेपाल सीमा प्रहरी के बदले तेवर से सीमावर्ती बलुआ गुआबारी के ग्रामीणों में आक्रोश है। बलुआ गुआबारी के मुखिया अतिकुर्र रहमान बताते हैं कि जब से होश संभाला है, नेपाल के लोगों में ऐसा बदलाव कभी नहीं देखा है। मुखिया बताते हैं कि नेपाल के लोगों के साथ सदियों से बेटी रोटी का संबंध रहा है।

ललबकेया का पानी रोकने को अंग्रेजों ने बनवाया था तटबंध
नेपाल की पहाड़ी से निकलने वाले ललबकेया नदी के कहर से बचाने के लिए अंग्रेजों ने तटबंध का निर्माण कराया था। करीब 4.11 किलोमीटर लम्बे तटबंध की मरम्मति और पुनर्निर्माण का काम हरेक साल होता है। इन कार्यों के बीच नेपाल के नागरिक और प्रशासन हरेक साल विरोध भी करती रहती थी, लेकिन अधिकारियों के बैठक और सुझबुझ से मामले का निदान निकलता और निर्माण कार्य पूरा होता रहा है।

लेकिन इस साल नेपाल ने 3.1 किलोमीटर से 3.6 किलोमीटर तक के बांध की मरम्मति और पुनर्निर्माण पर रोक लगाया है। करीब पांच सौ मीटर की लम्बाई को अपनी जमीन बताते हुए काम को रोका है। इसके बाद पूर्वी चम्पारण के डीएम ने गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को पत्र भेजकर स्थिति से अवगत कराया है। लेकिन काम में आयी रुकावट से ग्रामीण परेशान और आक्रोशित है।

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