सेना के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक ईस्टर्न लद्दाख में तनाव है इसका मतलब यह कतई नहीं है हम लाइन ऑफ कंट्रोल पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सेना वहां पूरी तरह से सतर्क है। वहां पाकिस्तान की तरफ से ऐसा कोई बड़ा मूवमेंट नहीं दिख रहा है और न ही उस फ्रंट (पाकिस्तान) पर कोई असामान्य हरकत दिखी है। दरअसल हमेशा ही इस बात की आशंका बनी रहती है चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान का इस्तेमाल कर सकता है और इस आशंका के पीछे ठोस वजह भी हैं।
अगर परिस्थिति बनती है तो भारत को एक साथ दो मोर्चों पर निपटना होगा, एक तरफ चीन और दूसरी तरफ पाकिस्तान। सेना के अधिकारी के मुताबिक पाकिस्तान की तरफ से हालांकि आतंकी गतिविधियां जारी हैं। सर्दियां आ रही हैं और पाकिस्तान उससे पहले आतंकी घुसाने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। लेकिन भारतीय सेना ग्राउंड में मजबूत है इसलिए ज्यादातर बार आतंकी घुसपैठ में सफल नहीं हो पाते।
ISR क्षमता बढ़ाने पर फोकसयह पूछने पर कि इमरजेंसी खरीद में सेना का फोकस किस पर है? सेना के सीनियर अधिकारी ने कहा कि भारतीय सेना अभी अपनी इंटेलिजेंस, सर्वेलांस और टोही (reconnaissance) क्षमता बढ़ाने पर फोकस कर रही है। साथ ही गोला-बारूद हमेशा फोकस एरिया रहता है। इसके अलावा कुछ स्पेशलाइज्ड इक्विपमेंट देख रहे हैं जो किसी खास जगह की जरूरत हो सकती है।
उन्होंने बताया कि अभी एलएसी पर तैनात ज्यादातार सैनिकों को अमेरिकी सिग सॉर राइफल दी गई हैं। ये आधुनिक असॉल्ट राइफल हैं। इसका 16 इंच का बैरल है और कैलिबर 7.22 एमएम है। भारतीय सैनिकों के पास अब तक इंसास राइफल थी। इंसास का कैलिबर 5.56 एमएम है। जितना ज्यादा कैलिबर उतना ज्यादा घातक। इंसास राइफल ऑटोमेटेड नहीं है जबकि सिग सॉर ऑटोमेटेड है। सिग सॉर का निशाना भी ज्यादा सटीक है।