साल 2007 में दुनिया का पहला टी20 वर्ल्ड कप साउथ अफ्रीका में खेला जा रहा था। क्रिकेट के छोटे प्रारूप में तब कोई मैच टाई होने पर बोल्ड आउट का नियम था, यानी दोनों टीमें बिना बल्लेबाजों के 5 बॉल फेंकेंगी और इन 5 में ज्यादा बार स्टंप्स हिट करने वाली टीम विजेता बनेगी।
इस फॉर्मेट में भारत और पाकिस्तान () की टीमें पहली बार भिड़ रही थीं। दोनों टीमों के बीच वर्ल्ड कप यह लीग मैच टाई हो गया। अब मैच का रिजल्ट बोल्ड आउट पर टिका था।
इस मैच में () भी खेल रहे थे और भारत को बोल्ड आउट से यह मैच जिताने में उथप्पा की भूमिका अहम थी। उथप्पा ने बताया कि इसका श्रेय () की चालाकी को जाता है।
लॉकडाउन के चलते इन दिनों सभी खेल गतिविधियां थमी हुई हैं और ऐसे में क्रिकेटर सोशल मीडिया के जरिए अपने फैन्स से जुड़ रहे हैं। ऐसी ही एक चर्चा में रॉबिन उथप्पा राजस्थान रॉयल्स (RR) के पोडकास्ट प्रोग्राम में स्पिनर ईश सोढ़ी से चर्चा कर रहे थे। इस चर्चा में जब के बीच हुए इस मैच का जिक्र छिड़ा तो उथप्पा ने इस जीत का श्रेय कप्तान एमएस धोनी को ही दिया।
34 वर्षीय इस बल्लेबाज ने अपने इंटरनैशनल क्रिकेट में अभी तक सिर्फ तीन गेंदों की ही बोलिंग की है। इनमें से 2 बॉल उन्होंने एक वनडे मैच में फेंकी थी, जबकि तीसरी बॉल उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप के इस बोल्ड आउट मुकाबले में फेंकी थी। उथप्पा ने बताया कि यहां धोनी की स्मार्टनेस थी, जिसने हम बोलरों का काम आसान कर दिया और भारत ने यह मैच 3-0 से अपने नाम किया।
धोनी ने अपने स्पिन गेंदबाजों से यह बोल्ड आउट गेंदें फेंकने के लिए कहा, जबकि पाकिस्तान ने पहली तीन गेंदें उमर गुल, यासिर अराफत और शाहिद अफरीदी से फिकवाईं। इस बीच धोनी स्टंप्स के पीछे काफी नजदीक बैठे थे, जबकि पाकिस्तानी विकेटकीपर उमर अकमल अपनी सामान्य विकेटकीपरों वाली पोजिशन में स्टंप्स से थोड़ा पीछे खड़े थे।
धोनी के नजदीक बैठने का फायदा हमें यह हुआ कि हमने उनके आसपास बॉल को फेंका, ताकि स्टंप्स पर लगने के चांस ज्यादा से ज्यादा रहें। भारती की पहली तीनों गेंदें स्टंप्स पर लगीं, जबकि पाकिस्तान अपनी तीनों गेंदें मिस कर गया। इस रोमांचक मैच में दोनों ही टीमों अपनी-अपनी पारियों में 141-141 रन बनाए थे, जिसके बाद भारत ने बोल्ड आउट से यह मुकाबला अपने नाम किया था।