आज के समय में बुजुर्ग मां-बाप पर क्या बीत रही है, इस बारे में हम सभी जानते हैं। वृद्धाश्रमों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है। आज के इस परिवेश पर एक बेटे पर निधि झा ने शब्दों के जो बाण चलाए हैं अगर वह सही ठिकाने लगे तो पिता-पुत्र के कई रिश्ते टूटने से पहले बच जाएंगे।
सच मानिए आप साथ में रो देंगे
निधि ऐक्टिंग में तो मास्टर हैं ही शब्दों के साथ खेलना भी जानती हैं। शब्दों में अहसास बोना भी जानती हैं। जब उनकी गीली पलकें एक बुजुर्ग पिता की कहानी कह रही होती हैं तो सच मानिए उनके साथ आप भी रो रहे होते हैं।
इसलिए सभी करते हैं निधि को प्यार
जब वह एक बेटे को कोस रही होती हैं तो सच मानिए समाज का एक हिस्सा होने के नाते आप भी ऐसे बेटों को कोसेंगे। समाज में बदलाव जरूरी है। निधि जैसी हस्तियों का इसके लिए आगे आना जरूरी है। निधि तो अपना काम कर रही हैं। वह अकेले तो सबकुछ नहीं बदल सकतीं लेकिन सब मिल जाएं तो कितना खूबसूरत बन जाए ये हमारी दुनिया। अपनी कविता में निधि कुछ यही कहना भी चाहती हैं।