प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बिहार को 541 करोड़ की नई सौगात दी। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए लालू प्रसाद यादव के परिवार की ओर से चलाए गए सत्ता के दौर पर गहरा प्रहार किया है। पीएम मोदी ने बिना नाम लिए आरोप लगाया कि आजादी के बाद बिहार में कुछ दिनों के लिए ऐसे लोग आ गए थे जिन्होंने यहां गरीबों के मन को बदल दिया। यहां के गरीब गरीबी, बीमारी को नियती मानकर बैठकर गए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आजादी के बाद बिहार में एक दौर ऐसा भी आया जब मूल सुविधाओं के बजाय प्रथामिकताएं और प्रतिबद्धताएं पूरी तरह बदल गई। इस वजह से राज्य में गर्वनेंस से फोकस ही हट गया। इसका परिणाम ये हुआ कि बिहार के गांव और ज्यादा पिछड़ गए और शहर जो समृद्धि का प्रतीक थे उनका इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ती आबादी और बदलते समय के हिसाब से अपग्रेड हो ही नहीं पाया। सड़कें हो, गलियां हो, पीने का पानी हो, सीवरेज की समस्या हो ऐसी अनेक मूल समस्याओं को या तो टाल दिया गया या फिर जमीन से जुड़े काम घोटालों की भेंट चढ़ गए।
पीएम ने कहा कि जब शासन पर स्वार्थ नीति हावी हो जाती है, वोट बैंक का तंत्र सिस्टम को दबाने लगता है, तो सबसे ज्यादा असर समाज के उस वर्ग को होता है, जो प्रताड़ित है, वंचित है और शोषित है। बिहार के लोगों ने इस दर्द को दशकों तक सहा है। जब पानी और सीवरेज जैसी समस्याओं को लंबे समय तक नहीं सुलझाया जाता है तो सबसे ज्यादा दिक्कतें हमारी माताओं और बहनों को होती हैं। गरीब, दलित, पिछड़ों, और अति पिछड़ों को होगी। गंदगी में रहने से और गंदा पानी पीने से लोगों को बीमारियां होती हैं। ऐसे में उसकी कमाई का बड़ा हिस्सा ईलाज में लग जाता है। कई बार परिवार कर्ज में दब जाता है। इन परिस्थितियों में बिहार के बड़े वर्ग के लोगों ने बीमारी, गरीबी को अपना भाग्य मान लिया। गरीब के साथ इससे बड़ा अन्याय क्या हो सकता है।
बीते डेढ़ दशक से नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी की टीम इस वर्ग के लोगों के लिए काम कर रही है। साल 2014 के बाद से बुनियादी सुविधाओं से जुड़े मसले का पूरा नियंत्रण करीब करीब ग्राम पंचायत या स्थानीय निकायों को दे दिया गया है। यही कारण है कि केंद्र और राज्य सरकार के साझा प्रयास से बिहार के शहरों में पीने के पानी और सीवरेज की समस्या में निरंतर सुधार हो रहा है। आने वाले वर्षों में बिहार ऐसा राज्य होगा जहां के हर घर में पीने का साफ पानी पहुंचेगा।
पीएम ने कहा कि शहरीकरण आज के दौर की सच्चाई है। पूरी दुनिया में यह हो रहा है। लेकिन कुछ दशक तक हमने मान लिया था कि शहरीकरण अपने आप में एक समस्या है। लेकिन मेरी सोच कहती है कि हमें हमेशा अवसर तलाशना चाहिए। बाबा साहेब आंबेडकर ने तो उस दौर में ही इस सच्चाई को समझ लिया था। वे शहरीकरण के समर्थक थे। उन्होंने ऐसे शहर की परिकल्पना की थी जहां गरीब को भी अवसर मिले। यानी शहर ऐसे हों जहां खासकर युवाओं को आगे जाने के लिए असीम सम्भावनाएं मिले।
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