भारत में माननीयों यानी विधायकों, सांसदों और मंत्रियों को सरकारी खर्च पर खूब सुविधाएं मिलती हैं। इन सुविधाओं के दुरुपयोग का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसके बाद सरकार ने भी चेतावनी दी है। दरअसल, के एक पूर्व सदस्य ने जनवरी 2019 में 63 टिकट बुक कराए लेकिन यात्रा सिर्फ सात पर की। इतना ही नहीं, यात्रा ना करने के बावजूद उन्होंने लगभग डेढ़ लाख रुपये का रीइंबर्समेंट भी ले लिया। अब सरकार ने कहा है कि राज्यसभा का कोई सदस्य अब अगर ट्रेन का टिकट बुक करने के बाद यात्रा नहीं करता है तो उसे किराए का भुगतान खुद करना होगा।
राज्यसभा के इस पूर्व सदस्य का नाम छिपाते हुए इतना बताया गया है कि वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के सदस्य हैं। जानकारी के मुताबिक, पूर्व सांसदों को भी अकेले यात्रा करने पर फर्स्ट एसी और ग्रुप में यात्रा करने पर सेकंड क्लास एसी का किराया सरकार की ओर से मिलता है। पूर्व सांसद महोदय ने सिर्फ एक ही महीने में कुल 63 टिकट बुक करा डाले थे।
सरकार को बेवजह चुकाने पड़े डेढ़ लाख रुपये
अब सामने आया है कि इन 63 टिकट का का किराया कुल मिलाकर 1,69,005 रुपये हुआ था। 63 में से सिर्फ सात टिकट पर यात्री की गई, जिसका किराया 22,085 रुपये हुआ। बाकी के बचे 1,46,920 रुपये बिना वजह से सरकारी खर्च से दिए गए हैं। राज्यसभा सचिवालय को पता चला है कि कई सांसद और पूर्व सांसद इसी तरह टिकट बुक कराते हैं और बिना यात्रा किए ही रीइंबर्समेंट ले लेते हैं।
इस मामले के बाद उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के पदेन सभापति वेंकैया नायडू ने सचिवालय को इसकी जांच करने को कहा है। एक और मामले में यह पाया गया कि एक वर्तमान सांसद ने जितने टिकट बुक किए उसमें से सिर्फ 15 पर्सेंट पर ही यात्रा की लेकिन रीइंबर्समेंट सबके लिए ले लिया। राज्यसभा ने सांसदों और पूर्व सांसदों से स्पष्ट कह दिया है कि जिन टिकट्स पर यात्रा नहीं करनी है, उन्हें कैंसल करें वरना पैसा खुद ही चुकाना होगा।
ने राज्यसभा से मांगे 7.8 करोड़ रुपये
साल 2019 के लिए रेलवे ने राज्यसभा सचिवालय से टिकट बुकिंग के लिए 7.8 करोड़ रुपये मांगे हैं। यह सांसदों और पूर्व सांसदों की रेल यात्रा का एक तिहाई ही है। बाकी का दो तिहाई लोकसभा की ओर से चुकाया जाएगा। रेलवे भी सांसदों और पूर्व सांसदों के लिए टिकट बुक करने वाले अपने सॉफ्टवेयर को बदलने की तैयारी कर रहा है।
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