प्रणव मुखर्जी का रहा बेहद लंबा राजनीतिक जीवन, पढ़ें ‘बड़े बाबू’ से देश के सबसे बड़े पद तक सफर

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को निधन हो गया है, उन्होंने आज शाम सैन्य अस्पताल में अंतिम सांस ली, हाल ही में उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी जिसके बाद वो कोमा में चले गए थे,आज सुबह ही डॉक्टरों ने कहा था कि प्रणव मुखर्जी कि स्थिति गंभीर हो गई है। बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन की जानकारी दी है। देश के लोकप्रिय नेताओं में शामिल रहे प्रणव मुखर्जी का बेहद लंबा राजनीतिक जीवन रहा है।
पश्‍चिम बंगाल में हुआ था प्रणब मुखर्जी का जन्म
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्‍चिम बंगाल में हुआ था। बचपन में प्रणब दा को सब प्‍यार से पोलटू बुलाया करते थे। प्रणब दा ने बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। प्रणब मुखर्जी ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में एमए और एलएलबी की डिग्री ली। करियर के शुरुआती दौर में मुखर्जी कोलकाता के डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के ऑफिस में क्लर्क हुआ करते थे इसलिए उन्हें लोग बड़े बाबू बुलाया करते थे। इसके बाद वह 1963 में विद्यानगर कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर भी रहे।
प्रणब दा ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता भी की थी
प्रणब दा ने कुछ समय के लिए पत्रकारिता भी की। 1969 में वह अजय मुखर्जी की अध्यक्षता वाली बांग्ला कांगेस में शामिल हुए तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नजर उन पर पड़ी। इसके बाद प्रणब ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
कांग्रेस के संकट मोचक कहलाते थे प्रणब मुखर्जी
वे जुलाई 1969 में पहली बार राज्य सभा में चुनकर आए। तब से वे कई बार राज्य सभा के लिए चुने गए । फरवरी 1973 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मुखर्जी ने चालीस साल में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सभी सरकारों में मंत्री पद संभाला था। वर्ष 1996 से लेकर 2004 तक केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार रही लेकिन 2004 में यूपीए के सत्ता में आने के बाद से ही प्रणब मुखर्जी केंद्र सरकार और कांग्रेस पार्टी के संकटमोचक के तौर पर काम करते रहे।
प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्‍ट्रपति थे
वो सरकार की कई समितियों की अध्यक्षता करने के अलावा कांग्रेस पार्टी में कई अहम भूमिका निभा चुके हैं। प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्‍ट्रपति थे। प्रतिभा पाटील के इस्‍तीफे के बाद प्रणब मुखर्जी को राष्‍ट्रपति पद की शपथ दिलाई गई थी।

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